एक वेंटिलेटर पर सैकड़ों बच्चों की जान बचाने का दबाव !

- तीन वेंटिलेटर हैं लेकिन इनमें से दो पिछले कई महीनों से खराब
देहरादून : प्रति एक हजार बच्चों के जन्म पर 38 शिशुओं की मौत का आंकड़ा प्रदेश सरकार के लिए भले ही चौंकाने वाला नहीं होगा लेकिन यह आंकडा देश के अन्य प्रदेशों में बच्चों की हो रही मौत के आंकड़े में सबसे ज्यादा है। वहीँ राजधानी देहरादून का सरकारी अस्पताल जहाँ के भरोसे राज्य के पांच जिलों के तमाम दुर्घटनाओं सहित गंभीर बीमारियों से ग्रसित रोगियों का दबाव बना रहता है लेकिन इसके बाद भी डॉक्टरों की कमी और संसाधनों की कमी के चलते पर्वतीय इलाकों के लोग कुकुरमुत्तों की तरह उग रहे निजी अस्पतालों के हाथों लूटने को मजबूर हैं। सरकारी अस्पताल जो अब दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जीडीएमसीएच) हो गया है यही एकमात्र सरकारी अस्पताल है जहां वेंटिलेटर्स हैं लेकिन यहाँ एक वेंटिलेटर को छोड़ बाकि सभी वेंटिलेटर ख़राब पड़े हुए हैं। अस्पताल प्रशासन ने इस वेंटिलेटर को भी एनआईसीयू विभाग में लगाया हुआ है। वहीँ इसके अलावा सूबे के नौ और सरकारी अस्पताल ऐसे हैं जहां वेंटिलेटर की सुविधा ही उपलब्ध नहीं है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में स्थिति बहुत ही ख़राब है क्योंकि जीडीएमसीएच में एक ही दिन में कम से कम 20 बच्चे पैदा होते हैं और लगभग इतने ही बच्चे दूसरे स्वास्थ्य केंद्रों में भी पैदा होते हैं। इनमें से बहुत से बच्चों को जन्म लेने के तुरंत बाद आईसीयू की जरूरत होती है लेकिन वेंटिलेटर उपलब्ध न होने की वजह से उन्हें तुरंत इलाज नहीं मिल पा रहा है जिससे उनकी मौत की संभावना बढ़ जाती है। वहीँ एक रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि राज्य में शिशुओं की मृत्यु दर में 70 फीसदी नवजात (28 दिन से कम उम्र के शिशु) होते हैं, जो चिकित्सकीय उपकरणों के अभाव में जान गंवाने को मजबूर हैं।
रिपोर्ट में चौंकाने वाली यह बात बात भी सामने आई है कि नवजात बच्चों के लिए जीडीएमसीएच अस्पताल में तीन वेंटिलेटर हैं लेकिन इनमें से दो पिछले कई महीनों से खराब पड़े हैं। अस्पताल से मिल रही जानकारी के अनुसार यहाँ वेंटिलेटरों का खराब होना लगातार जारी है। वहीं स्थानीय निवासियों ने बताया कि ‘सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर न होने की वजह से उन्हें अपने 20 दिन के नवजात बच्चे को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था जहां उनसे जमकर लूट खसोट की गयी और एक लाख रुपए खर्च करने के बाद तब कहीं वे अपने बच्चे को बचा पाए।