Uttarakhand

पञ्च तत्व में विलीन हुआ एक और अमर जवान

बेटियों और छोटे भाई ने दी शहीद नरेन्द्र सिंह बिष्ट को मुखाग्नि

शहीद की अंतिम यात्रा में लगे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे

देहरादून : कश्मीर के उरी सेक्टर में शहीद हुए चमोली जिले में नारायणबगड़ ब्लॉक के नाखोली गांव निवासी नरेंद्र सिंह बिष्ट  का गुरुवार को हरिद्वार के खड़खड़ी श्मसान घाट में अंतिम संस्कार हो गया । शहीद नरेंद्र सिहं की दोनों बेटियों और छोटे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी। गुरुवार सुबह देहरादून के सेलाकुई स्थित घर से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई जिसमें पूरा सेलाकुई गांव सहित आस -पास के लोगों पहुंचे थे।  सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सेलाकुईं के हरिपुर में पहुंचकर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, विधायक मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव पुंडीर आदि शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। सूबे के राज्यपाल डॉ. केके पाल ने शोक व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति को प्रार्थना की। वहीं वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी है।  शहीद की बेटी ने कहा, मेरे पापा ने देश लिए अपनी जान कुर्बान की, सरकार को पाकिस्तान से कहना चाहिए कि वो सामने आकर युद्घ करें।

शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए पूरा सेलाकुई गांव उमड़ पड़ा। लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा में शहीद नरेंद्र सिंह अमर रहे के नारे लगाए साथ ही पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। शहीद की अंतिम यात्रा सेना के बैंड की मातमी धुन पर घर से निकली। हवलदार नरेंद्र सिंह बिष्ट सात अगस्त की सुबह को पाक सेना की गोली से घायल हुए थे,  पाकिस्तान की ओर से फायरिंग के दौरान उनके सिर पर गोली लगी थी। इलाज के दौरान  बुधवार की  सुबह जम्मू के सैन्य अस्पताल में हुई उनकी मौत के बाद उनका पार्थिव शरीर बुधवार देर शाम को उनके गांव सेलाकुई पहुंच गया था। बीते दिन  नरेंद्र सिंह बिष्ट की शहादत की खबर के बाद से ही उनके घर में कोहराम मचा हुआ है। वह अपने पीछे पत्नी आशा व दो बेटियों नेहा व निकिता को छोड़ गए हैं। वहीं, शहीद की बेटियां यह नहीं समझ पा रही हैं कि यह एकाएक हुआ क्या। वहीँ उनके घर पर ढांढस बंधाने वालों का तांता लगा है। 

शहीद हवलदार नरेंद्र सिंह बिष्ट चौथी गढ़वाल रायफल में थे और इस समय कश्मीर के उरी सेक्टर में तैनात थे। रक्षाबंधन के दिन 7 अगस्त को सीमा पर पाकिस्तान की ओर से की गई अंधाधुंध फायरिंग में हवलदार नरेंद्र सिंह बिष्ट गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके सिर पर गोली लगी थी। तब से जम्मू के मिलिट्री अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। जहां बुधवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार शहीद नरेंद्र सिंह बिष्ट को एक साल बाद ही रिटायर होना था। वह अभी पिछले माह 26 जुलाई को ही दस दिन की छुट्टी पूरी कर उरी सेक्टर में वापस ड्यूटी पर गए थे। इस दौरान उन्होंने अपने गांव जाकर पूजा की। भगवान बद्रीनाथ के दर्शन भी किए। सात अगस्त को वह आतंकियों से मुठभेड़ में घायल हो गए थे । जबकि 11 अगस्त को पत्नी आशा व साला विशाल जम्मू स्थित सैनिक अस्पताल में उन्हें मिलने  भी गए थे। किसी को इस बात का तनिक भी भान तक नहीं था कि आतंकियों से लोहा लेने वाला ये वीर अचानक यूँ ही  जिंदगी की जंग हार जाएगा। 

 

devbhoomimedia

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