UTTARAKHAND

देश में सबसे ज्यादा प्रभावित 272 जिलों को नशा मुक्त करने का अभियान शुरू

सबसे ज्यादा प्रभावित 272 जिलों में उत्तराखंड के दस जिलों व शहरों के नाम शामिल 

नशा मुक्ति कार्यक्रम का बजट वर्ष 2017-18 में 49 करोड़ रुपये था, जो 2020-21 में बढ़ाकर 260 करोड़ रुपये यानी हुआ पांच गुना 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
नई दिल्ली : केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने “अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निरोध दिवस” पर “सबसे ज्यादा प्रभावित 272 जिलों के लिए नशा मुक्त भारत : वार्षिक कार्य योजना (2020-21)” की ऑनलाइन शुरूआत की। इनमें उत्तराखंड के दस जिलों और शहरों के नाम भी इस सूची में शामिल हैं। 
केंद्रीय राज्य मंत्री ने नशीले पदार्थों की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना से संबंधित लोगो और टैगलाइन तथा नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाए गए नौ वीडियो स्पॉट्स भी जारी किए। राज्य सरकारों और एनजीओ के प्रतिनिधियों ने भी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन भागीदारी की।
केंद्रीय राज्य मंत्री कटारिया ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय हर साल 26 जून को “अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निरोध दिवस” के रूप में मनाता रहा है। यह नशीले पदार्थों की मांग में कमी लाने के लिए एक नोडल मंत्रालय है, जो नशीले पदार्थों के दुरुपयोग को रोकने से जुड़े सभी पहलुओं का समन्वय और निगरानी करता है, जिसमें समस्या की सीमा का आकलन, निवारक कदम, नशे के आदी लोगों के उपचार और पुनर्वास, सूचना एवं जन जागरूकता का प्रसार शामिल है।
उन्होंने कहा कि नशा मुक्त भारत वार्षिक कार्य योजना, 2020-21 में सबसे ज्यादा प्रभावित 272 जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है और नारकोटिक्स ब्यूरो, सामाजिक न्याय द्वारा जागरूकता और स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से उपचार के संयुक्त प्रयासों का शुभारम्भ किया गया।
नशा मुक्त भारत : वार्षिक कार्य योजना (2020-21) के लिए चिह्नित भारत के सबसे ज्यादा प्रभावित 272 जिलों व शहरों की सूची
कार्य योजना इस तरह है- जागरूकता फैलाने से जुड़े कार्यक्रम, उच्च शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और विद्यालयों पर जोर, अस्पतालों में उपचार सुविधाओं पर जोर और सेवा प्रदाता के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम।
उन्होंने कहा कि नेशनल सर्वे ऑन एक्स्टेंट एंड पैटर्न ऑफ सब्सटेंस यूज इन इंडिया के निष्कर्षों और जिलों की सूची, जो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के दृष्टिकोण से आपूर्ति के लिहाज से संवेदनशील हैं, उनके आधार पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय देश भर के संवेदनशील जिलों में हस्तक्षेप कार्यक्रम चलाएगा।
इसके उद्देश्यों में नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों के बारे में बच्चों और युवाओं को जागरूक करना, सामुदायिक भागीदारी और जन सहयोग बढ़ाना, मंत्रालय समर्थित वर्तमान नशा मुक्ति केन्द्रों (आईआरसीए) के अलावा सरकारी अस्पतालों को नशा मुक्ति केन्द्र खोलने के लिए समर्थन देना और भागीदारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम कराना शामिल है।
मंत्रालय स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से नशे के आदी लोगों की पहचान, उपचार और पुनर्वास के लिए समुदाय आधारित सेवाएं उपलब्ध कराता है। मंत्रालय नशा मुक्ति केन्द्र चलाने के लिए देशभर के एनजीओ को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है। मंत्रालय ने नशीले पदार्थों के पीड़ितों, उनके परिवारों और व्यापक स्तर पर समाज की सहाचता के लिए 24×7 राष्ट्रीय टोल फ्री नशा मुक्ति हैल्पलाइन नंबर 1800110031 भी स्थापित किया है।
सचिव सुब्रमण्यन ने कहा कि नशाखोरी की समस्या और इसकी तस्करी समाज के स्तर पर है और इसलिए, हमें अपने युवाओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए समुदायों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इससे जोड़ना है। वर्ष 2017-18 में इस कार्यक्रम का कोष 49 करोड़ रुपये था और 2019-20 में यह 110 करोड़ रुपये था, जो 2020-21 में बढ़ाकर 260 करोड़ रुपये यानी पांच गुना कर दिया गया है। इससे नशाखोरी और तस्करी की गंभीर समस्या से पार पाने की हमारी प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।

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