HISTORY & CULTURE

मांगल गीतों की हजारों वर्ष पुरानी परंपरा हो रही है खत्मः प्रो. पुरोहित 

  • -जैक्सवीन स्कूल में तीन दिवसीय मांगल गीत कार्यशाला का समापन
रुद्रप्रयाग। बिगुल (सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था) एवं जीवन निर्माण एजुकेशन सोसाइटी गुप्तकाशी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय मांगल गीत कार्यशाला का भव्य मांगल गीत प्रदर्शन कार्यक्रम के साथ समापन हो गया है। इस अवसर पर प्रतिभागियों को दोनों संस्थाओं की ओर से प्रमाण पत्र वितरण किये गये। 
समापन अवसर पर कार्यशाला निदेशक डाॅ. माधुरी बड्थ्वाल ने तीन दिन की इस कार्यशाला में उपस्थित प्रत्येक प्रतिभागी के मांगल गीतों को सीखने के प्रति लगन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और कहा कि आज पूर्वजों से मिली इस विरासत को संजोने की जरूरत है। उन्होंने कीर्तन मण्डलियों से भी निवेदन किया कि वे विभिन्न अवसरों पर कीर्तन के साथ ही मांगल गीतों का गायन भी करें। 
बिगुल के संरक्षक प्रसिद्व रंगकर्मी एवं संस्कृति कर्मी प्रो. डी.आर. पुरोहित ने कहा कि मांगल गायन की परम्परा हजारों वर्ष पुरानी है। बीच में यह परम्परा क्षीण हो गयी थी, लेकिन अब यह तेजी से पुनर्जीवित हो रही है और बड़े शहरों में हमारे पहाड़ के प्रवासी इस परम्परा को हाथों-हाथ ले रहे हैं। प्रो. पुरोहित ने कहा कि देहरादून में डाॅ. माधुरी बड्थ्वाल, श्रीनगर में गिरीश पैन्युली, पौड़ी में अनिल बिष्ट , चमोली में लक्ष्मी शाह और अब गढ़वाल क्षेत्र में बिगुल संस्था एवं जीवन निर्माण एजुकेशन सोसाइटी इस परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतियोगिताएं एवं कार्यशालाएं आयोजित कर रहे हैं एवं इस परम्परा के संरक्षण के लिए प्रयास कर रहे हैं। 
प्रो. पुरोहित ने कहा कि मांगल एवं ढा़ेल कार्यक्रम को उचित पैसा न देने वाली मानसिकता के लोगों को ऐसी कार्यशालाओं एवं प्रतियोगिताओं से मांगल गीतों एवं ढ़ोल के प्रति सम्मान बढ़ेगा। इस अवसर पर कार्यशाला की सह-निर्देशक श्रीमती यशोदा देवी राणा एवं रामेश्वरी देवी ने गणेश पूजन, हल्दी हाथ, बेदी निर्माण, मंगल स्थान, नवग्रह पूजन, सात फेरे, कन्यादान, गायदान, एवं विदाई के मांगल गीतों का गायन कर प्रकृति में उत्सव एवं छन्द बिखेर दिया।
साथ ही मुण्डन के अवसर पर गाये जाने वाले मांगल, भागवत कथा एवं अन्य अवसरों पर गाये जाने वाले मांगल गीतों का गायन एवं प्रशिक्षण भी दिया गया। प्रधानाध्यापक रा.प्रा वि जैली माधव सिंह नेगी ने स्वरचित नंदा देवी के मांगलों एवं जागरों का गायन किया। साथ ही देहरादून से आये अध्यापक मोहन वशिष्ठ  ने भी गढ़वाली कविता का पाठ किया। प्रतिभागी महिलाओं डाॅ. जैक्सवीन नेशनल स्कूल एवं सृजन निकेतन श्यामावन खुमेरा के छात्र-छात्राओं ने भी मांगल गीतों का गायन, चैंफला एवं थड्या नृत्य गीतों की सुन्दर प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर तीन दिवसीय कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को दोनों संस्थाओं द्वारा प्रमाण-पत्र वितरित किये गये। संस्थापक शैलेन्द्र तिवारी ने तीन दिवसीय कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत कर इन मांगल गीतों के डाक्यूमेंटेशन की रिकार्डिंग प्रस्तुत की गयी।
प्राचार्य श्रीमती सुनीता देवी ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि मांगल हमारी संस्कृति की पहचान हैं और इनको अक्षुण  बनाये रखने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन सराहनीय है।
कार्यक्रम का संचालन चेयरमेन लखपत सिंह राणा ने विभिन्न प्रकार के लोककथा, गाथा एवं बोलियों के प्रस्तुतिकरण के साथ रोचक ढंग से किया। इस अवसर पर डाॅ. जैक्स वीन नेशनल स्कूल के समस्त स्टाफ एवं अन्य सदस्य उपस्थित रहे। 

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