ऋषिकेश : AIIMS यानि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों की राय में मास्क और सेनेटाइजर का उपयोग एक सीमा तक करना ही उचित है, उनका कहना है कि सेनेटाइजर का ज्यादा उपयोग करने से त्वचा पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
त्वचा की देखभाल: संभलकर करें मास्क और सेनेटाइजर का उपयोग
कोविड-19 महामारी के दौर में खुद को संक्रमण से बचाने के सबसे प्रभावी तरीकों में लगातार साबुन- हाथ धोना और फेस मास्क का उपयोग करना प्रमुख है। जिसमें चिकित्सकों द्वारा लोगों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही 60 से 95 प्रतिशत अल्कोहल युक्त कीटाणुनाशक सेनेटाइजर से हाथों को कीटाणुरहित करना उचित बताया गया है। यह सभी सुरक्षात्मक उपाय कोरोना वायरस के इस विश्वव्यापी महामारी के दौर में एक आवश्यकता बन गए हैं।
क्या होता है त्वचा रोग एक्जिमा
सेनेटाइजर और डिटर्जेंट से लगातार हाथ धोने से त्वचा से प्राकृतिक तेल निकल जाता हैं। जिससे त्वचा में सूखेपन की समस्या पैदा हो जाती है। कभी-कभी इसकी दिक्कत बढ़ जाने से त्वचा में लालिमा आने, स्केलिंग और खुजली होने के लक्षण भी पैदा हो जाते हैं। इस रोग को एक्जिमा या त्वचा की सूजन भी कहा जाता है। ऐसे में समय पर उपचार नहीं किए जाने की दशा में यह बीमारी त्वचा को मोटा और काला कर देती है। इसके अलावा लगातार हाथ धोने/दस्तानों के अत्यधिक इस्तेमाल से और लंबे समय तक मुहं पर मास्क लगाने के कारण त्वचा संबंधी कई तरह के अन्य रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
अधिक समय तक मास्क का उपयोग करने से लोगों में तनाव और चेहरे में घर्षण होने की समस्या
एम्स के त्वचा रोग विशेषज्ञों के अनुसार इनके उपयोग से लंबे समय तक नमी और हवा का संचार नहीं हो पाता। जबकि लंबे समय तक मास्क पहनने के कारण चेहरे में पसीना आता है, जिससे चेहरे में मुंहासों या ’पिंपल्स की समस्या उत्पन्न हो जाती है। विशेषज्ञों की मानें तो इसके अलावा अधिक समय तक मास्क का उपयोग करने से लोगों में तनाव और चेहरे में घर्षण होने की समस्या भी देखी जा रही है। लगातार कई घंटे तक मास्क पहनने से नाक या कान के पीछे दर्द अथवा खुजली के साथ लालिमा उभरने की समस्या भी बढ़ सकती है। चिकित्सकों ने बताया कि दस्तानों से होने वाले नुकसान की बात करें तो दस्ताने हाथों की त्वचा पर एक कड़ा आवरण बना देते हैं, जिससे टिनिया रिंग्स जैसे फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
AIIMS के त्वचा विज्ञान विभाग में विशेष एलर्जी क्लिनिक संचालित
एम्स निदेशक एवं सीईओ पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी के निर्देश पर लोगों की इन तमाम तरह की समस्याओं के मद्देनजर संस्थान के त्वचा विज्ञान विभाग में एक विशेष एलर्जी क्लिनिक संचालित किया जा रहा है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने इस बाबत बताया कि यदि ऐसे लक्षण नजर आने पर संबंधित रोगी एम्स में उपचार के लिए आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान में त्वचा रोगों के परीक्षण की सभी तरह की व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा लंबे समय से त्वचा रोग वाले लोगों के लिए एलर्जी के कारण का पता लगाने के लिए एम्स में सबसे बेहतर तकनीक युक्त परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है।
क्या इन बीमारियों को रोकना संभव है
एम्स की त्वचा रोग विभागाध्यक्ष डा. नैश्रृता हजारिका व डा. रीति भाटिया का कहना है कि कुछ निवारक उपाय त्वचा को ऐसी समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं। त्वचा संबंधी उक्त लक्षण नजर आने पर मॉइस्चराइजर, सामान्य ठंडी क्रीम या नारियल तेल का उपयोग करने से लाभ मिलता है। हाथों को धोने और दस्ताने पहनने से पहले हरदफा क्रीम या तेल का उपयोग करने से इस समस्या के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसके अलावा रात के समय या काम से लौटने के बाद अच्छी तरह से वैसलीन या नारियल के तेल का उपयोग करना त्वचा की क्षति को ठीक करने में बहुत मददगार होता है।
हाथों के गीला रहने की स्थिति में दस्ताने नहीं पहनें
उन्होंने बताया कि सेनेटाइजर का उपयोग करने से पहले या बाद में साबुन और पानी से हाथ धोने से कोई विशेष लाभ नहीं है। ऐसा करने से एक्जिमा की शिकायत ज्यादा बढ़ जाएगी। उन्होंने सलाह दी कि हाथों के गीला रहने की स्थिति में दस्ताने नहीं पहनें। ऐसा करने से दस्ताने चिपक जाते हैं और त्वचा में जलन होने की समस्या पैदा होती है। ग्लिसरीन और तेल जैसे अल्कोहल आधारित हैंड्रब्स के उपयोग से साबुन और डिटर्जेंट के हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मास्क या दस्ताने के उपयोग से यदि एलर्जी हो तो ऐसी स्थिति में एलर्जी जांच के परिणामों के आधार पर औषधीय क्रीम का उपयोग करना या त्वचा विशषज्ञों परामर्श से ही दवा का इस्तेमाल करना लाभकारी है। उन्होंने ऐसे लक्षण नजर आने पर तत्काल त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेने की सलाह दी है।