रोहिताश यादव ने रिसर्च पेपर में की कोरोना वायरस की संभावित दवा की पहचान
रिसर्च पेपर अमेरिका की प्रतिष्ठित शोध पत्रिका ‘जनरल ऑफ बायोमोलिक्यूलर स्ट्रक्चर एवं डायनामिक्स’ में हुआ शोध प्रकाशित
तीन संभावित ड्रग मॉलिक्यूल्स की पहचान की है, जिनमें से दो नए हैं जबकि एक एचआईवी संक्रमण में काम आने वाली दवा जिडोवुडीन
जिडोवुडीन को देखा जा सकता है कोरोना के उपचार के लिए महत्वपूर्ण ड्रग के तौर पर
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
ऋषिकेश। AIIMS अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के पीएचडी स्कॉलर रोहिताश यादव का रिसर्च पेपर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय शोधपत्रिका ‘जनरल ऑफ बायोमोलिक्यूलर स्ट्रक्चर एवं डायनामिक्स’ में प्रकाशित हुआ है, जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस की संभावित दवा की पहचान की है। उनका यह शोध कोरोना महामारी से बचाव में मील का पत्थर साबित हो सकता है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रविकांत ने रिसर्च स्कॉलर रोहिताश को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि संस्थागत स्तर पर शोधकार्य को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्य हो रहा है, इसके लिए एम्स संस्थान के स्तर पर प्रतिवर्ष पांच करोड़ की धनराशि जारी की गई है। इस राशि को आने वाले समय में बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि अनुसंधानकर्ता रोहिताश यादव ने कोरोना वायरस के विभिन्न टारगेट की पहचान करके संभावित ड्रग को खोजा है, जिसे शोधपत्र में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। उन्होंने कोरोना वायरस के न्यूक्लियोकेप्सिट फास्फोप्रोटीन का तीन संभावित जगहों पर 8722 नए ड्रग मॉलिक्यूल्स एवं 265 संक्रामक बीमारियों के काम में आने वाली दवाओं के साथ अध्ययन किया है,जिसमें उन्होंने तीन संभावित ड्रग मॉलिक्यूल्स की पहचान की है, जिनमें से दो नए ड्रग मोलिक्यूल हैं जबकि एक एचआईवी संक्रमण में काम आने वाली दवा जिडोवुडीन है।
जिडोवुडीन को कोरोना के उपचार के लिए महत्वपूर्ण ड्रग के तौर पर देखा जा सकता है, जिसकी पुष्टि आगे चलकर क्लीनिकल ट्रायल से की जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह शोधकार्य एम्स ऋषिकेश के डिपार्टमेंट ऑफ फार्माकोलॉजी में किया गया।
इस उपलब्धिपूर्ण शोध कार्य के लिए संस्थान के डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने अनुसंधानकर्ता की प्रशंसा की है। उन्होंने इसे एम्स संस्थान व फार्माकोलॉजी विभाग के लिए एक बड़ा एचीवमेंट बताया है। उन्होंने बताया कि कोरोना के विश्वव्यापी दुष्प्रभाव के इस नाजुक समय में हमारे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ के साथ-साथ अनुसंधानकर्ता भी दिन-रात इस वायरस से जनमानस को बचाने में अपने-अपने स्तर पर दिन-रात कार्य कर रहे हैं।
फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र हांडू ने इस शोध को एम्स संस्थान की एक बड़ी उपलब्धि बताया। रिसर्च स्कॉलर रोहिताश यादव ने बताया कि इस कार्य के लिए विभाग के डा. पुनीत धमीजा, जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, अमेरिका के डा. कपिल सूचल एवं सऊदी अरब के सांकरा मेडिकल इंस्टीट्यूट के डा. मोहम्मद इमरान ने भी सहयोग किया।
गौरतलब है कि एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के शोधार्थी रोहिताश यादव कई विषयों पर शोध कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धमीजा के निर्देशन में मल्टीपल माइलोमा के लिए नए दवा की खोज पर काम कर रहे हैं। वर्तमान में सोसायटी ऑफ यंग बायोमेडिकल साइंटिस्ट इंडिया के अध्यक्ष का दायित्व भी देख रहे हैं।
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