Uttarakhand

सीएम के हस्तक्षेप के बाद रजिस्ट्रार पद से हटाए गए मृत्युंजय मिश्रा

  • आयुष विभाग में समायोजन निरस्त करने को लेकर सरकार पर दबाव 

देहरादून : उत्तराखंड के चर्चित अधिकारियों में से एक डॉ मृत्युंजय मिश्रा के पुलिस के साये में आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय का कुलसचिव पदभार संभालने के ठीक एक दिन बाद ही सरकार को अपने फैसले पर रोलबैक करना पड़ा। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में कुछ अधिकारियों और एक काबीना मंत्री ने गुपचुप तरीके से इस विवादित अधिकारी को आयुर्वेद विश्वविद्यालय का कुलसचिव बनाने का तानाबाना बना था।दो दिन पहले गुपचुप  तरीके से किये गए इस आदेश का संघ से  लेकर विद्यार्थी परिषद् तक के कार्यकर्ताओं और संगठन के लोगों के कोपभाजन का सरकार को शिकार बनना पड़ा था ,मामले के मुख्यमंत्री के संज्ञान में आते ही उन्होंने  तुरंत मिश्रा को कुलसचिव पद से हटाते हुए आयुष महकमे में संबद्ध किया है। हालाँकि आयुष सचिव आरके सुधांशु ने इस संबंध में आदेश तो जारी किये हैं लेकिन इस आदेश में भी संघपरिवार को लोचा नज़र आ रहा है। वहीँ अब मिश्रा के आयुष विभाग में समायोजन निरस्त करने को लेकर भी सरकार पर एक बार फिर दबाव बनता दिखाई दे रहा है।  यदि सरकार इनका समायोजन निरस्त करती है तो इन्हे एक बार फिर उच्च शिक्षा विभाग में प्रवक्ता बनना पड़ सकता है। 

उधर, विश्वविद्यालय में कुलसचिव पदभार ग्रहण करते ही मिश्रा फिर विवादों में घिर गए हैं। उनकी नियुक्ति का विरोध करने वाले प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश कुमार को उन्होंने एकतरफा कार्यमुक्त कर मूल आयुर्वेदिक व यूनानी महकमे में वापस भेज दिया। शासन और कुलपति को विश्वास में लिए बगैर मिश्रा की इस कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। 

 शासन से नियुक्ति का आदेश मिलने पर डॉ मृत्युंजय कुमार मिश्रा ने बीते रोज विश्वविद्यालय पहुंचकर एकतरफा कार्यभार ग्रहण कर लिया। उनके कार्यभार ग्रहण करने के मौके पर कुलपति गैर मौजूद थे। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो डॉ मृत्युंजय ने बीते रोज जिस अंदाज में पुलिस की मौजूदगी में कार्यभार ग्रहण किया था, वह सरकार को नागवार गुजरा। रही सही कसर विद्यार्थी परिषद के रोष ने पूरी कर दी। परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री प्रदीप शेखावत ने मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में डॉ मृत्युंजय को विवादित बताते हुए उनके खिलाफ लगे आरोपों की विस्तृत जांच की मांग की।
उन्होंने कहा कि उक्त अधिकारी प्रदेश में ही नहीं रहना चाहिए। सरकार को ऐसे अधिकारी को किसी भी विश्वविद्यालय अथवा संस्थान में पद नहीं देना चाहिए। परिषद के विरोध ने असर दिखाया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तुरंत मामले में हस्तक्षेप करते हुए मिश्रा को हटाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर अमल करते हुए आयुष शिक्षा महकमे ने मिश्रा को हटाते हुए सचिवालय से ही संबद्ध करने के आदेश जारी कर दिए। आयुष शिक्षा सचिव आरके सुधांशु ने आदेश जारी होने की पुष्टि की।

उधर, कुलसचिव पदभार ग्रहण करने के बाद मिश्रा एक बार फिर विवादों से घिर गए। उन्होंने शासन के आदेश से प्रभारी कुलसचिव के रूप में कार्यरत डॉ राजेश कुमार को पद से हटाते हुए उन्हें मूल आयुर्वेदिक व युनानी अधिकारी के पद के लिए कार्यमुक्त करने के आदेश शुक्रवार को जारी किए। कुलपति की गैर मौजूदगी में उनके अनुमोदन के बगैर ही शासन के आदेश को मिश्रा ने दरकिनार कर दिया। डॉ राजेश कुमार को पदमुक्त करने के संबंध में आयुष सचिव आरके सुधांशु ने जानकारी से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि मिश्रा शासन के किसी आदेश की अवहेलना नहीं कर सकते।

गौरतलब है कि राजभवन इससे पहले भी मिश्रा की विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद पर सरकार की ओर से की गई नियुक्ति पर सवाल खड़े कर चुका है। मिश्रा की नियुक्ति और कार्यप्रणाली को लेकर उठे विवादों का नतीजा ये रहा कि सरकार ने उन्हें विश्वविद्यालय से हटाकर अपर स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली में तैनात किया था, लेकिन वहां भी चर्चाओं में  बाद बीते दिनों सरकार ने अपर स्थानिक आयुक्त पद पर उनकी नियुक्ति रद कर उन्हें मूल महकमे में भेजने के आदेश दिए थे। 

devbhoomimedia

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