- खण्डूरी के इंकार के बाद भाजपा पौड़ी सीट पर पार्टी उतारेगी नया चेहरा
- मनीष को कांग्रेस में जाने से रोकने की होती रही कोशिशें हुई नाकाम
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : एक समय में ”खंडूरी हैं जरुरी” का नारा देने वाली भाजपा के लिए भले ही अब भी खंडूरी जरूर जरुरी हों लेकिन खंडूरी के लिए अब भाजपा जरूरी नहीं रही। बीते दिन जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट उनके आवास पर पहुंचे तो गढ़वाल के सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूड़ी (रि.) ने चुनाव लड़ने से साफ़ मना कर दिया । वहीं भाजपा के नेताओं ने आखिरी क्षण तक कोशिश की कि मनीष को किसी भी तरह कांग्रेस में जाने से रोका जाय लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा को मनीष खंडूरी के कांग्रेस में जाने का नफा नुकसान का पता है इसलिए वे पूर्व मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूड़ी (रि.) के सामने चुनाव लड़ने का प्रस्ताव भी लेकर गए थे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ने उनसे एक बार और चुनाव लड़ने की पेशकश की थी, जिस पर जनरल ने साफ असमर्थता जता दी। हालांकि पार्टी ने अपने पैनल में सांसद खंडूड़ी का नाम सबसे ऊपर रखा है। जनरल के इंकार करने से अब भाजपा पौड़ी सीट पर नए चेहरे को उतारेगी।
वहीं खंडूड़ी ने पार्टी को भरोसा दिया है कि जरूरत पड़ने पर वे पार्टी का प्रचार भी करेंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने इसकी पुष्टि की है। भट्ट के मुताबिक, वे और मुख्यमंत्री जनरल खंडूड़ी का स्वास्थ्य का हालचाल जानने और चुनाव में आशीर्वाद लेने उनके आवास पर गए थे। लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने में असमर्थता जताई।
बकौल भट्ट खंडूड़ी ने कहा कि पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है और वे पार्टी के साथ खड़े हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि चुनाव प्रचार में जहां उनकी आवश्यकता होगी, वे वहां आएंगे। भट्ट के मुताबिक, कांग्रेस में जा रहे जनरल के बेटे मनीष खंडूड़ी को लेकर उनसे कोई चर्चा नहीं हुई।
बदले परिदृश्य में अब खंडूड़ी के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद अब पौड़ी लोकसभा सीट पर नए चेहरे को उतारा जाना तय हो गया है। इस सीट पर टिकट की दौड़ में एक दर्जन दावेदार हैं, लेकिन पार्टी सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े दावेदार पर दांव लगा सकती है।
भाजपा के पास सैन्य पृष्ठ भूमि से हालांकि कर्नल अजय कोठियाल, एडमिरल ओपी राणा के रूप में दो विकल्प हैं। इसके अलावा पार्टी यदि गैर सैन्य चेहरे पर दांव लगाना चाहेगी तो अनुभवी दावेदारों के तौर पर वीरेन्द्र जुयाल,सतपाल महाराज, अमृता रावत, हरक सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत, केएस पंवार सरीखे नाम हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट बेशक यह कह रहे हैं कि उनकी मनीष खंडूड़ी को लेकर उनकी जनरल से कोई चर्चा नहीं हुई। लेकिन सियासी हलकों में यह चर्चा है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ने आखिरी क्षणों तक यह प्रयास करता रहा कि जनरल अपने बेटे मनीष को कांग्रेस में जाने से रुकवा दें। माना जा रहा है कि शुक्रवार देर शाम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष खंडूड़ी से मिलने उनके आवास पर इसी रणनीति के तहत गए थे।
हालांकि सूत्रों के मुताबिक, खंडूड़ी ने भाजपा नेताओं से साफ तौर पर कहा कि बेटे मनीष का फैसला उसका अपना है और इससे उनका कोई लेना देना नहीं है। सूत्रों ने यह भी कहा कि खंडूड़ी ने मनीष से इस संबंध में बात करने और उसे कांग्रेस में जाने से रोकने को लेकर पूरी तरह इंकार कर दिया है।
लेकिन अब भाजपा के भीतर ही यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि केदार सिंह फोनिया ,शेलेन्द्र रावत, गोविन्द बिष्ट, मोहनसिंह रावत गांववासी, भौर्याल ,पूरन शर्मा , बच्ची सिह रावत , खजान दास , अनिल नौटियाल और ना जाने कितने का भविष्य अनुशासन का डंडा चलाकर बर्बाद करने वाले जनरल का अब भाजपा क्या करेगी ?