RUDRAPRAYAG

आखिर कैसे हुई केदारघाटी के भरतोली में इतनी बड़ी संख्या में बकरियों की मौत

ओलावृष्टि और बज्रपात की बताई जा रही घटना 

जिलाधिकारी ने भेजी मौके पर टीम, टीम जायजा लेकर देगी रिपोर्ट

केदारघाटी के जामू, रामपुर और फाटा के ग्रामीणों की दो सौ से अधिक बकरियां हुई मौत का शिकार

केदारनाथ विधायक ने बताया हिमालय के लिए खतरा

कहा, मुआवजा राशि में है परिर्वतन की जरूरत

रुद्रप्रयाग । केदारघाटी के भरतोली में हुई ढाई सौ से अधिक भेड़-बकरियों की मौत पर संशय बना हुआ है। कोई इसे ओलावृष्टि की घटना बता रहा है तो कोई बज्रपात होने की संभावना जता रहा है। इसके अलावा कुछ लोग इसे दैवीय आपदा की घटना बता रहे हैं। ऐसे में जिलाधिकारी ने चिकित्सकों की टीम को मौके पर भेजा है और मृत बकरियों की जांच करने के बाद रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

दरअसल, केदारघाटी के जामू गांव से सात किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद भरतोली नामक स्थान पड़ता है, जहां मृत अवस्था में दो सौ भेड़-बकरियां पाई गई हैं, जबकि पचास से अधिक अभी भी लापता हैं। जिनकी ढूंढखोज ग्रामीणों द्वारा की जा रही है। संभावना यह जताई जा रही है कि भारी बरसात होने के बाद भेड़-बकरियां तितर-बितर हो गई और जान बचाने के लिए बुग्यालों में भाग गई, जिसके बाद उनका कोई अता-पता नहीं चल पा रहा हे। इस घटना के बाद से ग्रामीणों और प्रशासन में संशय का विषय बन गया है कि आखिर सैकड़ों की संख्या में भेड़-बकरियों की मौत का कारण क्या है। जिलाधिकारी रंजना वर्मा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पशु चिकित्सकों की टीम को मौके के लिए रवाना किया और जांच करते हुए जल्द रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिये हैं।

केदारघाटी के अधिकांश ग्रामीण पशुपालन पर ही निर्भर हैं। तीन माह तक ग्रामीण अपनी भेड़-बकरियों को बुग्यालों में चराते हैं और स्वयं भी बुग्यालों में रहते हैं। जब बारिश और बर्फवारी होती है तो पशुपालक टैंट के सहारे अपना आशियाना बना लेते हैं, मगर बकरियों के लिए कोई आशियाना नहीं होता। इस बार पशुपालकों के साथ कुदरत ने बड़ा अन्याय किया है। उनका पशुपालन का रोजगार छिन लिया है। ऐसे में पशुपालकों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

घटना की जानकारी मिलने के बाद विधायक केदारनाथ मनोज रावत ने भी घटना स्थल की ओर रूख किया। पशुपालकों का दर्द बांटते हुए विधायक मनोज रावत ने भरोसा दिलाया कि ग्रामीणों को मृत मवेशियों का मुआवजा शीघ्र दिलवाया जायेगा। उन्होंने घटना को गंभीर बताया और कहा कि मामले की जांच के लिए पशु चिकित्सकों की टीम को मौके पर भेजा गया है। भेड़-बकरियों की मौत की घटना हिमालयी आपदा का रूप ले सकती है। ऐसे में जरूरी है कि इसे दैवीय आपदा मानते हुए पशुपालकों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से मुआवजा राशि में परिवर्तन करने की दरख्वास्त भी की।

हरेक व्यक्ति के जेहन में बकरियों की मौत के बाद प्रश्न खड़ा हो गया है। पशु चिकित्सक भी इस घटना की स्पष्ट जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ राजीव गोयल की माने तो आलोवृष्टि में भारी ओले पड़नेया फिर बज्रपात से मवेशियों की मौत हो सकती है। ऐसे में आठ सदस्यीय टीम गठित करते हुए मौके पर भेजी गई है। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि पशुपालकों को अपने मवेशियों का ध्यान देना चाहिए। ज्यादा तेज बारिश होने पर मवेशियों को सुरक्षा की दृष्टि से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना चाहिए, जिससे विकट परिस्थितियों से निपटा जा सके।

केदारघाटी में दौ सौ से अधिक बकरियों के एक साथ मरने की यह पहली घटना है, जो आने वाले समय के लिए शुभसंकेत नहीं है। हिमालयी त्रासदी के बाद अब केदारघाटी की जनता को अपने मवेशियों से भी हाथ धोना पड़ रहा है, जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा होने लगा है। ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।

….अब भूलणी तोक में भी हुई बकरियों की हुई मौत
लगातार हो रही ओलावृष्टि के चलते कालीमठ घाटी के भूलणी तोक में चुगान के लिये गई साढे़ चार सौ के करीब बकरियां लापता हो गयी हैं, जिनमें केवल बीस मृत बकरियों ही मिल पाई हैं। अन्य बकरियों की तलाश में ग्रामीण बुग्यालों की खाक छान रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कालीमठ क्षेत्रान्तर्गत चौमासी के निकट भूलणी, छलाई तथा मेरी खर्क में चुगान के लिये गई लगभग साढे चार सौ के करीब बकरियों पर ओलावृष्टि की ऐसी मार पड़ी वे ठंड से जगह-जगह तड़फ तड़फ कर मरने लगी। इस दौरान बकरियों में हुई भगदड़ में बकरियां दूर-दूर तक भागने लगी। ग्रामीण लक्ष्मण सिंह सत्कारी ने बताया कि ये बकरियां गत् तीन माह से बुग्यालों में चरने के लिये गयी थी।

गत कुछ दिनों से लगातार हो रही बरसात तथा ओलावृष्टि के कारण बकरियां ठंड और बरसात के कारण मर गयी। ग्रामीणों ने बुग्यालों में जाकर उन्हें ढूंढने का प्रयास किया, लेकिन केवल बीस मृत बकरियां ही मिल पायी है। ग्रामीण अन्य बकरियों को ढूंढने में लगे हैं। उन्होंने बताया कि ये बकरियां नारायणकोटी, कालीमठ, जाल मल्ला, चौमासी, स्यांसू गढ़ के ग्रामीणों की है। सभी प्रभावित लोगों ने शासन-प्रशासन से अहेतुक राशि देने की मांग की है।

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