आपदा के चार साल बाद मन्दाकिनी में दिखाई दी नारद शिला

2013 की प्रलयकारी आपदा में मलबे में दब गई थी शिला
शिला पर नारदमुनि ने की थी भगवान शिव की सौ वर्षों तक तपस्या
वरदान के रूप में मिला था नारद जी को संगीत का ज्ञान
शासन-प्रशासन से लेकर सरकार ने नहीं दिखाई थी दिलचस्पी
रुद्रप्रयाग । देश-विदेश से चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर है। श्रद्धालुओं को अब भगवान नारदमुनि की शिला के दर्शन हो पायेंगे। यह नारदशिला वर्ष 2013 की जून माह की आपदा में मलबे में दब गई थी, जिसके बाद श्रद्धालु भगवान नारदमुनि की शिला के दर्शन नहीं कर पा रहे थे। कईं बार स्थानीय श्रद्धालुओं ने इस समस्या को लेकर प्रशासन, शासन और सरकार के दरवाजे खटखटाये, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने भी मलबे में दबी नारदशिला को दुरूस्त करने का आश्वासन दिया, लेकिन फिर भी कोई कार्य नहीं हुआ। नेताओं की लफ्फाजी सिर्फ भरोसे तक ही सीमित रही और भगवान रुद्र ने अपना चमत्कार दिखाया और मंदाकिनी नदी का जल स्तर कम होते ही शुक्रवार सुबह श्रद्धालुओं को नारदशिला के दर्शन प्राप्त हो गये।
केन्द्र सरकार से लेकर पूर्ववर्ती प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 16-17 जून 2013 को मंदाकिनी नदी में आई बाढ़ के कारण मलबे में दबी नारद शिला की सफाई के कई दावे किये, लेकिन नारदशिला जस की तस पानी और मलबे के अंदर दबी रही। शिला दबने के कारण श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। देश-विदेश के तीर्थ यात्री नारद शिला के दर्शन नहीं कर पा रहे थे। केन्द्रीय मंत्री उमा भारती सहित पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नारद शिला को नदी से बाहर निकालने के तमाम दावे किये, लेकिन स्थिति जस की तस रही। तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण मंदाकिनी नदी का जल स्तर काफी बढ़ गया। शुक्रवार सुबह जैसे ही मंदाकिनी नदी का जल स्तर कम हुआ, वैसे ही मलबे में दबी नारदशिला मंदाकिनी नदी की धारा से साफ होकर अपने पुराने स्वरूप में दिखाई देने लगी। नारदशिला से मलबा भी बह गया है, जिसके बाद अब श्रद्धालु नारद शिला के दर्शन कर पा रहे हैं।
भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह रावत एवं सामाजिक कार्यकर्ता सच्चिदानंद सेमवाल ने कहा कि नारदशिला की सुध किसी ने नहीं ली, जिसके बाद भगवान शिव ने अपना चमत्कार दिखाया और आज नारदशिला अपने पुराने स्वरूप में नजर आने लगी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शराब और खनन पर राजनीति कर सकती है, लेकिन धार्मिक आस्था के केन्द्रों की ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिससे धार्मिक स्थानों की महता खत्म होती जा रही है।