- लालढांग क्षेत्र में गेंडीखाता पंचायत की वन गुर्जर बस्ती का मामला
हरिद्वार : जो कारनामा भगवान भी नहीं कर पाया उस कारनामे को हरिद्वार जिले के गेंडीखाता पंचायत की एक बस्ती में आधार कार्ड बनाने वाली एजेंसी ने कर दिखाया । आधार कार्ड बनाने वाली एजेंसी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि जिले के आला अधिकारी तक दांतों टेल उंगुली दबाने को मजबूर हो गए । हुआ यह कि हरिद्वार जिले के गेंडीखाता पंचायत की वन गुर्जर बस्ती के 800 लोगों के आधार कार्ड की जब जांच हुई तो पता चला कि यहाँ के अधिकाँश लोगों का जन्म एक जनवरी को दर्शाया गया है । वहीँ अब जिले के अधिकारियों का कहना है कि इस लापरवाही पर आधार कार्ड बनाने वाली एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब हो कि हरिद्वार जिले के लालढांग क्षेत्र में गेंडीखाता पंचायत की वन गुर्जर बस्ती में लगभग पांच हजार की आबादी है। बस्ती में अधिकांश लोग पढ़े लिखे नहीं हैं। वहीँ यहाँ के गांव वालों को यह भी नहीं पता कि आधार कार्ड में किन कागजातों की डिटेल भरी जाती है। जो कागजात आधार कार्ड बना रहे एजेंसी ने मांगे, ग्रामीणों ने जमा कर दिए। इसके बावजूद 800 लोगों के आधार कार्ड की गलत डिटेल अपलोड कर दी गई। आधार कार्ड पर सभी की जन्म तारीख एक जनवरी दिखाई गई है। हालांकि, जन्म का वर्ष अलग-अलग है। इससे अब ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वन गुर्जर गुलाम रसूल, शराफत, शमशेर अली, यूसुफ, बाबू खटाना, अकबर, मोहम्मद आलम, नूर आलम आदि का कहना है कि गांव में आधार कैम्प में सभी ने एक साथ आधार कार्ड बनवाया था। जो कागजात मांगे गए थे, वह दे दिए गए। मोहम्मद सफी ओर मुमताज अली ने बताया कि हम लोग पढ़े लिखे नहीं हैं। हमे कई दिन बाद पता चला कि जन्मतिथि गलत अंकित हो गया है। कार्ड बनाने वाले एजेंसी कर्मचारी ने उन लोगों से उम्र पूछ कर आधार कार्ड बना दिया।
उधर, मुख्य विकास अधिकारी स्वाति भदौरिया ने बताया कि 800 लोगों की जन्म तिथि गलत होना बहुत बड़ी गलती है। बिना सत्यापन जन्म तिथि दर्ज नहीं की जा सकती। एजेंसी की लापरवाही सामने आने पर एजेंसी का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। एजेंसी को भविष्य में कैंप लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी तक उनके पास इस संबंध में कोई शिकायत नहीं आई है।
वहीं एसडीएम मनीष कुमार ने भी बताया कि मामले की जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी। यह सभी आधार कार्ड अमान्य हो गए हैं। इन्हें दोबारा से बनवाने को कहा जा रहा है इसके लिए विशेष कैंप आयोजित करने की व्यवस्था की जा रही है।