Uttarakhand

Act : लोकायुक्त और तबादला कानून गैरसैंण में होंगे पास !

  • शंका : कहीं लोकायुक्त कानून को बिना नाखून और दांत वाला तो नहीं बना दिया गया !

देहरादून : सूबे की त्रिवेन्द्र रावत सरकार बहुप्रतीक्षित लोकायुक्त और तबादला कानून गैरसैंण में आहूत होने वाले आगामी विधानसभा सत्र के दौरान लेन जा रही है पर सूबे के बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह कानून कितने प्रभावशाली होंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन जिस तरह से ये दोनों कानून पिछले सत्रों से प्रवर समितियों के हवाले रहे हैं उनसे तो यह लगता है कि इन दोनों कानूनों में से खासकर लोकायुक्त कानून को बिना नाखून और दांत वाला बना दिया गया है। 

सूत्रों का कहना है कि जब तक लोकायुक्त  कानून का डर अधिकारीयों से लेकर कर्मचारियों और केवल मुनाफा कमाने वाले कथित ठेकेदारों को नहीं होगा तब तक भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना किसी की बूते की बात नहीं।  कानूनी जानकारों का कहना है कि जहाँ तक तबादला कानून की बात है तो पूर्व मुख्यमंत्री खंडूरी के शासन काल में जिस तबादला कानून को तत्कालीन शासन -प्रशासन ने अंतिम रूप दिया था वह उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य के लिए उपयुक्त था । लेकिन कई अधिकारियों और कर्मचारियों को जब इस कानून से अपनी कुर्सियां हिलती दिखायी दी तो उन्होंने तमाम मंचों से इस कानून का विरोध करना शुरू कर दिया अन्तः सरकारी कर्मचारियों और अधिकारीयों के दबाव में आने वाली सरकारों ने उसे समाप्त ही कर डाला।

अब आगामी विधानसभा सत्र में दोनों बहुप्रतिशिक्षत कानूनों को लाने के लिए सरकार ने अपने स्तर से तैयारियां पूरी कर ली हैं। उम्मीद की जा रही है कि अब सात दिसंबर से गैरसैंण में शुरू होने जा रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इन दोनों कानूनों पर विधानसभा की मुहर लग जाएगी। सरकारी प्रवक्ता काबीना मंत्री मदन कौशिक ने भी इसकी पुष्टि की है ।

उल्लेखनीय है कि लोकायुक्त और तबादला कानून राज्य की राजनीति को प्रभावित करने वाले बड़े मुद्दों में शामिल रहा है। त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने सत्ता संभालने के बाद ही साफ कर दिया था कि वो इन दोनों महत्वपूर्ण मुद्दों को ठंडे बस्ते में नहीं रहने देगी। हालांकि, दोनों कानूनों के प्रस्तावों को प्रवर समिति 15 जून को विधानसभा के पटल पर रख चुकी है। परन्तु विपक्ष सरकार की मंशा पर किंतु-परंतु करता आ रहा है।

मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत सरकार का रुख बिलकुल साफ है। विधानसभा की कार्यमंत्रणा समित सत्र की कार्यवाही का खाका तय करती है। उसके अनुसार ही इन कानूनों के प्रस्ताव सदन में आएंगे।वहीँ सरकार का कहना है कि वह पारदर्शिता और सुशासन के लिए संकल्पबद्ध है। लोकायुक्त और तबादला कानून पर सरकार का रुख साफ है। प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जा चुकी है। अब वह सदन की संपत्ति है। विस सत्र की कार्यवाही के लिए गठित कार्यमंत्रणा समिति इन कानून को सदन में लाने का कार्यक्रम तय करेगी।

devbhoomimedia

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