प्रतयक्षम किम प्रमाणम। इतने सबूत होने के बावजूद भी जो संघर्षशील साथी ”कथित पत्रकार या यूँ कहें भू-माफिया” से चिपके हुए हैं उनकी आंख इस जमीन कब्जाने वाले वीडियो से खुल जानी चाहिए। देहरादून की राजपुर रोड की महंगी जमीन को कब्जाने वाला यह वीडियो लगभग डेढ़ साल पुराना है। इस मामले में राजपुर थाने में मुकदमा भी दर्ज है। मित्रो, इस वीडियो में इसकी सुरक्षा के लिए मिले वे केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान भी दिख रहे हैं। भारी भरकम सुरक्षा लेकर यह दल्ला जमीन कब्जाता दिख रहा है।
इस जमीन पर कब्जे से पहले इस ”कथित पत्रकार या यूँ कहें भू-माफिया”ने अपने उपर हमले की झूठी शिकायत भी दर्ज करवाई थी कि राजपुर रोड में घूमते हुए उस पर गोली चलाई गई। इसका एक पूर्व पुलिस अधिकारी से इसका झगड़ा भी हुआ था। जबकि यह दल्ला भारी सुरक्षा के बीच चल रहा था ऐसे में कौन उस पर गोली चलाता। इस फर्जी हमले की खबर को सिर्फ उस दौरान ”चर्चित अखबार” ने ही प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिससे बाद उसकी काफी किरकिरी भी हुई थी।क्योकिं इस घटना का न पुलिस ही पता लगा पायी थी और न स्थानीय लोगों ने ही घटना या गोली चलने की आवाज की ही पुष्टि की थी। इसके बाद ही ”कथित पत्रकार या यूँ कहें भू-माफिया” ने इस करोड़ों की जमीन पर कब्जे का खेल खेला था। वीडियो में साफ दिख रही है इसकी गुंडई।
उस समय इसने मूंछे भी रखी हुई थी। इसका चेहरा और आवाज की भी पहचान करिये ….. बीच में खड़ा यह दल्ला दूसरी पार्टी को हड़काता दिख रहा है। आज ये मुद्दों की बात कहकर सभी को बरगला रहा है। इसका असली काम जमीन कब्जाना और ब्लैकमेलिंग करना ही है। राजधानी देहरादून के कई पॉश इलाकों में इसने कई आलीशान कोठियों तक को कब्जाने का खेल किया था कुछ कोठियों के मालिकों ने तो न्यायालय की शरण में जाकर अपनी कोठियों को कई वर्षो बाद इसके कब्जे में रहने के बाद ही खाली करा पाए लेकिन कुछ पर अभी भी इसका कब्जा बरकरार बताया जा रहा है। वर्ष 2010 के आसपास ऐसे ही जमीन कब्जाने के मामले में हुए सँघर्ष में इसका खोपड़ा फट गया था।
पुलिस विभाग में भी इसने कई कर्मियों को फांसा हुआ है। जो इसकी मदद करते हैं। मुख्यमन्त्री को ऐसे कर्मी व अधिकारियों को चिन्हित कर साइड लाइन करना चाहिए।
मित्रों, इस भेड़िए को जान लीजिए। ये ”कथित पत्रकार या यूँ कहें भू-माफिया” पहाड़ी लोगों का पोस्टर बना कर अपने को उनका नेता बना रहा है। उत्तर प्रदेश में जाकर करे ये ऐसी हरकत तो मिनट भर में औकात पता चल जाएगी। मेरे मित्रों, जब यह परेशानी में घिरता है तो भाई जी…भाई जी बोलने लगता है। काम निकलते ही इसके अपने धंधे शुरू हो जाते हैं। तो उत्तराखंड के असली हितेषियों इसकी नौटँकी में मत फंसो। वीडियो देखिये और फैसला करिये। मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र रावत का ये आखिर क्यों विरोध कर रहा है यह भी सभी को पता चल गया है। ऐसे ”कथित पत्रकार या यूँ कहें भू-माफिया” को राज्य में घुसने मत दो।