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लेडी सिंघम और उनके निगम में नित नए कारनामें !

  • विवादित रहे हैं ”लेडी सिंघम” के अब तक के सभी निर्णय 
  • मेरा आदेश है यदि मर भी गए तो सीधे स्वर्ग जाओगे
  • और बेचारा कर्मचारी रामकृष्ण स्वर्ग सिधार गया …..
  • मिनरल वाटर और स्मार्ट कार्ड  में कहीं कोई बड़ा ”खेल” तो नहीं !

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : गढ़वाल मंडल विकास निगम की ”लेडी सिंघम” आजकल खासी चर्चाओं में हैं। चर्चा तो यहाँ तक है कर्ज के बोझ तले आकंठ डूबे हुए इस निगम का वे बंटाधार करके ही मानेंगीं। कभी कर्मचारियों को ”स्वर्ग” पहुंचाने के कारण चर्चाओं में रहती  हैं तो कभी कर्मचारियों और उनके  परिजनों को धमकाने के कारण।  वहीँ पिछले लगभग एक महीने से निगम की वेब साइट बंद है लेकिन उसपर उनकी चुप्पी अपने आप में यह जताने के लिए काफी है कि दाल में कुछ काला है क्योंकि वेब साइट बंद होने से निगम को अब तक पांच करोड़ से ज्यादा रुपयों का नुकसान होने का अनुमान वहीँ के कर्मचरियों ने लगाया है। अब किसको इसका फायदा हुआ यह तो ”लेडी सिंघम” या उनका सलाहकार वह बहुगुणी व्यक्ति ही बता सकता है। लेकिन आजकल स्मार्ट कार्ड से निगम को स्मार्ट बनाने और हिमाचल के पानी से उत्तराखंड की प्यास बुझाने के मामलों को लेकर लेडी सिंघम चर्चाओं में हैं ।  

 अब निगम की इस ”लेडी सिंघम” का नया कारनामा चर्चाओं में है चर्चा तो यहाँ तक है कि लेडी सिंघम के बगलगीर बहुगुणी व्यक्ति के किसी रिश्तेदार का पांवटा साहब में मिनरल वाटर की एक छोटी से फैक्ट्री है जिसका पानी बाजार में काम ही उपलब्ध है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि लेडी सिंघम या यह बगलगीर अब गंगा -यमुना की धरती गढ़वाल के तमाम निगम के बंगलों से लेकर सचिवालय और विधानसभा तक में हिमाचल के पानी से यहाँ के लोगों की प्यास बुझाना चाहता है।  लेकिन चर्चा तो यहाँ तक है इस धंधे में कहीं भी उत्तराखंड सरकार की खरीद नियमावली (Procurement Policy)का पालन नहीं किया गया यानि बिना निविदा निकाले अपने चाहते को पानी सप्लाई का काम दे दिया गया। वहीँ अभी तक निगम के अन्य अधिकारियों को यह भी पता नहीं कि हिमाचल से आयात की जाने वाली यह पानी की बोतल निगम कितने रुपये में खरीदेगा और कितने रुपये में बेचेगा और निगम को इस पानी को बेचने से कितना फायदा होगा ? 

यह बात तो रही पानी से पानी निकालने की लेकिन सबसे मज़ेदार बात तो यह है कि ”लेडी सिंघम” ने यह घोषणा भी कर दी है कि वे अब निगम के बंगलों को भी पीपीपी मोड पर देने जा रही है इसमें वे बंगले या निएगाम के वे होटल शामिल बताये गए हैं जो सालभर चलते हैं और निगम को उनसे अच्छी कमाई भी होती है।  जहाँ तक उन बंगलों को पीपीपी मोड़ में देने की बात है जो वास्तव में निगम के लिए सफ़ेद हाथी की तरह हैं और नुकसान दे रहे हैं उनको पीपीपी मोड पर दे देना चाहिए लेकिन कमाई करने वाले बंगलों को बहुगुणी व्यक्ति के इशारे पर पीपीपी मोड में देने के विरोध की सुगबुगाहट गढ़वाल मंडल में होने लगी है। 

हाँ अब बात करते हैं उस कर्मचारी रामकृष्ण की जिसको लेडी सिंघम ने स्वास्थ्य खराब होने के बाद भी जबरन केदारनाथ भेज दिया और जब उस कर्मचारी ने ”लेडी सिंघम” से कहा कि उसकी तबियत खराब है वह केदारनाथ नहीं जा सकता तो ”लेडी सिंघम” ने उसको कहा ”जाओ यह मेरा आदेश है यदि मर भी गए तो सीधे स्वर्ग जाओगे” और बेचारा अपना सा मुंह लेकर केदारनाथ की चढ़ाई चढ़ने से पहले ही स्वर्ग सिधार गया, मामला तब अखबारों की सुर्खियां बना और ”लेडी सिंघम” ने जैसे ही थाईलैंड की धरती से भारत की धरती पर पैर रखे उन्हें बहुगुणी से बता दिया कि जिसको आपने स्वर्ग भेजा था वह वहां पहुँच गया है , यह जानकारी मिलते ही लेडी सिंघम के पैरों तले से जमीन खिसक गयी और उन्होंने अपने अधिकारियों के मार्फ़त उसके परिजनों को अपने ऑफिस आने  का न्यौता भेज डाला कि कहीं मामला और सुर्ख़ियों में आ गया तो ”खेल ” खराब भी हो सकता है।  सो अधिकारियों के आदेश का पालन करते हुए कोटद्वार से स्वर्गवासी कर्मचारी के परिजनों को निगम के मुख्यालय बुलाया यहाँ ”लेडी सिंघम” ने उनसे मामले को ज्यादा तूल न देने की बात कहते हुए स्वर्गवासी कर्मचारी के निगम की तरफ बाकि बची जीवनभर की पूंजी को एक सप्ताह में देने के निर्देश दे डाले लेकिन अब एक सप्ताह से ज्यादा वक़्त बीतने की बाद स्वर्गवासी कर्मचारी के परिजनों का धैर्य जवाब देने लगा है और वे मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने का मन बना चुके हैं। अब यह देखना होगा ”लेडी सिंघम” और उनका सलाहकार वह बहुगुणी व्यक्ति क्या पैंतरा चलते हैं यह देखने लायक होगा।   

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