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संसद की देहलीज तक जा पहुंचा निजी स्कूलों की फीस के नाम पर लूट का मामला!

मनमाने तरीके से फ़ीस वसूलने पर अब सरकार बनाएगी कानून?

फीस का मामला आविभवकों की मांग पर पहुंचा उच्च सदन तक 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नई दिल्ली :  देशभर में कुकुरमुत्तों की तरह खुले निजी स्कूलों में मनमानी तौर पर बढ़ती फीस और फीस के नाम पर अविभावकों की काटी जा रही जेब का मामला अब संसद की देहलीज तक भी पहुंच गया है। देशभर में बच्चों की फीस में मनमानी को लेकर तमाम आविभवक संगठनों की मांग पर यह मामला संसद के उच्च सदन पर जा पहुंचा हैं क्योकि देशभर के आम नागरिक निजी स्कूलों की मनमानी से आजिज आ  चुके हैं। 

शुक्रवार को राज्यसभा के शून्य काल के दौरान राज्य सभा सदस्यों ने मनमाने तौर पर फीस बढ़ाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार के सामने निजी स्कूलों की तेजी से बढ़ती फीस को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाए जाने की मांग की है।

संसद के उच्च सदन में रखे गए इस मामले पर भाजपा के श्वेत मलिक ने कहा कि ‘कुछ उद्योगपति शिक्षा के क्षेत्र में आ गए हैं और इसे व्यापार और मुनाफा कमाने का जरिया बना लिया है।  उन्होंने कहा ऐसे निजी स्कूलों में पहले तो इमारत के नाम पर शुल्क लिया जाता है। फिर लगातार निश्चित जगह से ही किताबें और स्कूल यूनिफॉर्म खरीदने के नाम पर अभिभावकों का शोषण किया जाता रहा है। जबकि स्कूल जिन स्थानों से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए कहते हैं, वहां इन चीजों की कीमत हमेशा बाजार के अन्य स्थानों से बहुत ज्यादा होती है।
उन्होंने कहा अभिभावकों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए और अविभावकों को न चाहते हुए भी दोगुने या ज्यादा पैसे चुकाकर किताबें व यूनिफॉर्म खरीदने पड़ते हैं।’ श्री मलिक ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई के बढ़ते खर्च के चलते अधिकाँश ‘बच्चों के अभिभावक अपने लिए घर नहीं बनवा पाते जबकि एक ही स्कूल की एक से अधिक इमारतें खड़ी हो जाती हैं।’ ये उदाहरण देते हुए उन्होंने सरकार से फीस नियंत्रित करने की मांग की और केंद्र से फीस निर्धारण और नियंत्रित करने की मांग की है

वहीं मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने के मामले पर समाजवादी पार्टी के सदस्य सुरेंद्र सिंह नागर ने कहा कि ‘उत्तर प्रदेश के स्कूलों की फीस में 150 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि 2018 में प्रदेश में निजी स्कूलों के नियंत्रण के लिए कानून तो बनाया गया, लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हो सका है। अब केंद्र को निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों का शोषण रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए।’

राज्यसभा में मनमाने तरीके से बढ़ती फीस पर हुई चर्चा के दौरान कई अलग-अलग दलों के प्रतिनिधियों ने निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कानून बनाए जाने पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा सालों से जगह-जगह अभिभावकों और उनके संगठनों द्वारा भी ये मुद्दा उठाया जाता रहा है। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने सवाल किया कि अब क्या राज्यसभा में मांग उठने के बाद सरकार निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण करने के लिए कोई कानून बनाएगी? जिससे अविभावकों से फीस के नाम पर हो रही लूट बंद की जा सके। 

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