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Girl Marriage Age Law:-मुस्लिम बच्चियों के निकाह में आई तेजी

केंद्र सरकार ने जब से लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का कानून लाने की तैयारी की है, तभी से तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में मुस्लिम लड़कियों के धड़ाधड़ निकाह हो रहे हैं व् यही हाल देश के अन्य राज्यों में भी है. नये कानून का खौफ इतना है कि मां-बाप अपनी बेटियों की फटाफट शादियां निपटा रहे हैं. इनमें वो शादियां भी शामिल हैं. जिनका निकाह कई महीनों बाद होने वाला था.
हैदराबाद की केस स्टडी 
हैदराबाद शहर के रहने वाले हैदर जाफरी के बड़े भाई की 18 साल की बेटी की भी हाल ही में शादी हुई है. हैदराबाद के ही रहने वाले आलिम कादरी ने भी अपनी बहन का निकाह तय वक्त से पहले ही कर दिया. दरअसल इन परिवारों को डर है कि अगर इन्होंने अभी अपनी बहन-बेटियों की शादी नहीं की तो नया कानून इन पर भी लागू होगा. इस सूरत में उन्हें भी बेटी के 21 साल का होने तक रुकना पड़ेगा. ऐसे में कई परिवार फटाफट निकाह निपटा रहे हैं. ज़ी मीडिया ने इन शादियों की गहराई और हकीकत को समझने की कोशिश की तो हैरान करने वाली एक तस्वीर सामने आई.
क्या कहती हैं लड़कियां
17 साल की मेहरुन्निसा और 19 साल की रुखसार खान अपनी पढ़ाई के साथ साथ कंप्यूटर कोर्स भी कर रही हैं. जब हमने दोनों से नये कानून के बारे में बात की तो दोनों की राय जुदा थी. महरुन्निसा का कहना था, कि कई परिवारों की माली हालत ऐसी होती है, जो 21 साल की उम्र तक इंतज़ार नहीं कर सकते. वहीं रुखसार परिवार की मजबूरी की बात तो मानती हैं, फिर भी 21 की उम्र में शादी करने की पक्षधर हैं.
गुनाह को बढ़ावा मिलेगा: क़ाज़ी
हैदराबाद में धड़ाधड़ शादियों को लेकर कई सोशल एक्टिविस्ट सरकार को ज़िम्मेदार बता रहे हैं, वहीं कई क़ाज़ियों का कहना है कानून बनने से गुनाह को बढ़ावा मिलेगा. मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि मुसलमानों का एक पर्सनल लॉ है, जिसके मुताबिक लड़की 15 साल या जब से उसे माहवारी शुरु हो वो शादी के लायक हो जाती है.
हालांकि कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवी ऐसे भी हैं, जो शादी के लिए लड़कियों की उम्र 21 साल करने के पक्ष में हैं. एक अनुमान के मुताबिक हैदराबाद और आसपास पिछले दिनों 15 हजार निकाह कराए जा चुके हैं. खबर है कि इस बिल में शादी की उम्र वाला प्रावधान देश के सभी समुदायों के विवाह संबंधी कानूनों पर लागू होगा, जिसके बाद देश में मौजूद तमाम विवाह कानूनों में संशोधन करना होगा. अभी ये कानून सिर्फ लोकसभा से पास हुआ है, जिसके बाद उसे सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया है.

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