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राज्य सूचना आयुक्त ने लचर विभाग की कार्यप्रणाली पर की नाराजगी व्यक्त

सूचना आयुक्त तकनीकी विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी का बिना तैयारी के पेश होने पर हुए नाराज़ 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : राज्य सूचना आयुक्त महोदय ने सुनवाई के दौरान सरकारी विभागों की लचर कार्य प्रणाली एवं सरकारी सिस्टम पर तब काफी नाराजगी व्यक्त की जब तकनीकी विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी बिना तैयारी के ही राज्य सूचना आयुक्त के सामने आ खड़े हुए और उनके सवालों का जवाब ही नहीं दे पाए।
गौरतलब हो कि कोरोना वायरस से जानमाल के बचाव में सतर्कता के चलते लम्बे समय बाद राज्य सूचना आयोग उत्तराखंड में माननीय राज्य सूचना आयुक्त महोदय के समक्ष ओडियो काल द्वारा द्वितीय सुनवाई हुई।
गौरतलब हो कि पिछले वर्ष जनवरी 2020 में राज्य तकनीकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड द्वारा प्रतिवर्ष जेई मैंस रैंक के आधार पर होने वाली कौंसिलिंग पर असंतुष्टता की स्थिति में विभागीय लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी से समयबद्ध संतोषजनक सूचनाएं न मिलने की स्थिति में राज्य सूचना आयोग उत्तराखंड में सुनवाई हेतु अपील की गई थी। जिसकी कि राज्य सूचना आयोग द्वारा उत्तराखंड द्वारा द्वितीय सुनवाई हेतु तिथि नियत की गई थी।
अपील पर निम्न बिन्दुओं पर सुनवाई हुई जिनका तकनीकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी अपीलार्थी को निम्न सूचनाओं पर बिना पूर्व तैयारी तथा सूचनाएं समय से न उपलब्ध कराये जाने पर राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष पूर्णतया दोषी पाए गए।
1- विगत वर्षों तक तकनीकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड द्वारा जेई मैंस की आल इंडिया रैंक के आधार पर बी टैंक के लिए राज्य कौंसिलिंग करते समय राज्य की रैंक का निर्धारण होता था किन्तु पिछले वर्ष तकनीकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड द्वारा राज्य की रैंक शून्य है।जबकि राज्य में जेई मैंस की आल इंडिया रैंक के आधार पर राज्य की रैंक का निर्धारण किया जाना अपेक्षित था जो कि बी. टेक की कौंसिलिंग संस्था द्वारा राज्य स्तर पर रैंक निकालना आवश्यक था।
2- पिछले वर्षों से भारत सरकार द्वारा समान्य वर्ग के लिए जिसकी वार्षिक आय पांच लाख से कम हैं ऐसे परिवार के होनहार छात्रों के लिए ई.डब्लू.एस(सामान्य अति पिछला वर्ग) कैटेगरी का निर्धारण आल इंडिया स्तर पर हुआ था जिसका कि बी टैंक कालेजों में सीटें निर्धारण में दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान हैं। ई.डब्लू.एस कैटेगरी में आल इंडिया रैंक अट्ठारह आने पर भी बी. टेक अभ्यर्थी को राज्य में आल इंडिया आधार पर कौसिलिंग संस्था द्वारा रैंक का निर्धारण ही नहीं हुआ है।
3- सूचना प्राप्त करने से पता चला है,कि गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर ऊधमसिंहनगर एवं गोविंद बल्लभ पंत इन्स्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी संस्थान घुड़दौड़ी पौड़ी गढ़वाल एक स्वयतशासी संस्थाएं हैं, जिनमें तकनीकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड के नियम नहीं चलते तो विश्वविद्यालय पंतनगर और घुड़दौड़ी में बी. टेक के लिए कौसिलिंग क्यों करवाता है?
4- राज्य के सभी सरकारी बी. टेक कालेज तकनीकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड से सम्बद्ध हैं और इन बी. टेक कालेजों में सारी परि नियमावलियां तकनीकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड की चलती हैं तो सरकारी बी. टेक कालेजों की ट्यूशन फीस अलग-अलग क्यों हैं ?
5- जब अभ्यर्थी बी. टेक कालेज की कौंसिलिंग करते समय तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा कौंसिलिंग करते समय दो हजार रुपये की धनराशि जमा करता है तो अभ्यर्थी बी. टेक कालेज परिवर्तन करते समय स्थानीय आधार पर क्यों काटा जाता है-?
ऐसे अनेक बिंदुओं पर सुनवाई में राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष ओडियो काल द्वारा एक घंटे सुनवाई हुई जिसमें तकनीकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी बिना पूर्व तैयारी के उपरोक्त बिन्दुओं पर समय से संतोषजनक उत्तर देने में निरुत्तर दिखें।
राज्य सूचना आयुक्त महोदय ने सूचनाओं को अपीलार्थी को समय पर न देने तथा बिलम्व करने पर सरकारी सिस्टम पर खेद व्यक्त किया। राज्य सूचना आयोग ने सरकारी विभागों द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की लगातार अनदेखी करना एवं विभागों की लचर कार्य प्रणाली पर काफी नाराजगी व्यक्त की।

devbhoomimedia

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