मुख्यमंत्री ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि पुस्तक भविष्य के लिए काम आती है। यह है एक मजबूत दस्तावेज
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : भारत के सबसे बड़े सस्पेंशन पुल डोबरा- चांठी की गाथा* का लोकार्पण आज प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक सादे समारोह में किया। उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में डोबरा चांठी पुल का लोकार्पण 8 नवंबर 2020 को हो गया था। बीच में दीपावली का त्यौहार था। इसलिए पुस्तक का विमोचन सोमवार को किया गया।
विमोचन समारोह के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पुस्तक के कुल 208 पेज एक एक कर पढ़े और देखे। तथा एक- एक पुल की, और घाटी की चर्चा की। उन्होंने कहा घोंटी पुल का सवाल उन्होंने बतौर विधायक 2004 में विधानसभा में उठाया था। पुस्तक में दोनों घाटियों में भागीरथी और भिलंगना में टिहरी झील में कुल 18 पुल डूबे और छह नए पुल बनने का जिक्र है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने पुस्तक की प्रशंसा की और कहा कि पुस्तक भविष्य के लिए काम आती है। यह एक मजबूत दस्तावेज है। लेखक ने बेहतरीन काम किया है।
कार्यक्रम के बाद वरिष्ठ पत्रकार व सूचना एवं लोक संपर्क विभाग में विज्ञापन मॉनिटरिंग कमेटी के हेड श्री राजेंद्र जोशी ने कहा की पुस्तक पढ़ने लायक है। खास कर नई जनरेशन को वो पुल घाटी देखने पढ़ने को मिलेगी, जो अब नहीं रही है।
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार श्री वेद विलास उनियाल कहा कि इसमें डूबी हुई चीजों का सचित्र इतिहास मिलता है। जो बहुत उपयोगी है।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार हिंदुस्तान अखबार के ब्यूरो चीफ रहे श्री दर्शन सिंह रावत ने मुझे बाद में बताया कि, पुस्तक में आंकड़े बहुत ही शानदार दिए गए हैं जो हमेशा पठनीय रहेंगे। वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन सिंह बिष्ट ने पुस्तक में दिए गए कंटेंट की सराहना की। साहित्यकार शूरवीर रावत ने पुस्तक को दस्तावेज बताया और कहा कि, ऐसे दस्तावेज को पीढियां याद करती है। पद्मश्री कल्याण सिंह रावत विमोचन समारोह में मौजूद थे उन्होंने सचित्र वर्णन करना उपयोगी पाया
डोबरा चांठी पुल में जिसका भी प्रयास रहा उसको ईमानदारी से दर्शाया गया है चाहे पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी हों पूर्व विधायक श्री फूल सिंह बिष्ट हों, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हों, पूर्व विधायक विक्रम सिंह नेगी हों, वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हों, या वर्तमान विधायक प्रतापनगर विजय सिंह पंवार हों, निष्पक्ष होकर इनके योगदान को लिखा गया है। शासन के सचिव जो अपने राज्य के लिए काम करते हैं अमित नेगी की इस बहुप्रतीक्षित पुल को बनाने के लिए शासन में जो सक्रियता रही स्थान मिला है।
सिंचाई विभाग पुनर्वास, लोक निर्माण विभाग कोरियाई इंजीनियर निजी कंपनी के इंजीनियर क नाम और काम सहित वर्णन है।
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा की लंबी भूख हड़ताल के बाद बनी हनुमंतराव कमेटी की सिफारिशों से प्रभावित क्षेत्रों में संरचनात्मक विकास होना शुरू हो गया था का जिक्र है साथ ही हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सुविधाओं और झील न भरने के लिए 3 पीआईएल का उल्लेख है। टिहरी बांध के गेट का विरोध करने के लिए जो नेता नई टिहरी और हरिद्वार जेल गए उनका जिक्र है।
सेम मुखेम की दूरी घटी है और उसका इतिहास भी लिखा गया है साथ ही उत्तरकाशी की गाज़ना पट्टी और बूढ़ा केदार क्षेत्र को भी डोबरा चांठी पुल से फायदा होगा का उल्लेख है।
डोबरा चांठी पुल के बारे में पुस्तक के 146 पेज से 198 पेज तक तारीख दर तारीख घटना को लिखा गया है। पुल के तकनीकी बिंदुओं कितना लोहा लगा कहां से बनकर लोहा या सब कुछ किताब में है