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हिमालयन इंस्टीट्यूट के डाॅ. शहबाज अहमद को ISN की उपाधि

डायलिसिस के रोगियों को मिलेगा इंटरवेंशनल नेफ्रोलाॅजी का लाभ
आईएसएन फैलो उपाधि हासिल करने वाले उत्तराखण्ड के पहले नेफ्रोलॉलिस्ट

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

क्या है इंटरवेंशनल नेफ्रोलाॅजी

इंटरवेंशनल नेफ्रोलाॅजी, नेफ्रोलाॅजी की ही एक उभरती हुयी सबस्पेसिलीटी है। लंबे समय से गुर्दे की बीमारी या गंभीर स्थिति से जूझ रहे रोगी को डायलिसिस की जरुरत होती है।
गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे रोगी को डायलिसिस के दौरान समस्याएं भी आती है। जैसे डायलिसिस फिस्टूला में सिकुड़न आना या थक्का बनकर बंद हो जाना, डायलिसिस कैथेटर का काम नहीं करना इत्यादि। इंटरवेंशनल नेफ्रोलाॅजी इन्ही समस्याओं के निदान में सहायक होती है।
देहरादून । इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (ISN) ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज जौलीग्रांट के सीनीयर कंसल्टेंट, नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शहबाज अहमद को आईएसएन फैलो की उपाधि से सम्मानित किया है। डाॅ. शहबाज यह उपाधि पाने वाले उत्तराखंड के पहले नेफ्रोलॉजिस्ट हैं।
डाॅ. शहबाज अहमद ने बताया कि उन्होंने सिंगापुर के जनरल हाॅस्पिटल में डॉ. तान ची सुआई के निर्देशन में इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी में प्रशिक्षण को पूरा किया। उन्होंने बताया कि भारत में अभी यह नया क्षेत्र है जबकि कई विकसित देशों में इंटरवेशनल नेफ्रोलॉजी का प्रयोग हो रहा है। वह भारत के कुछ चुनिंदा नेफ्रोलॉजिस्टों में से एक है, जिन्होंने इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी में विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसके तहत उन्हें एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और थ्रोम्बोलिसिस का गहन प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें सिंगापुर में अमेरिका से अलग अनुभव प्राप्त हुआ। उन्हें सिंगापुर में उन्हें रोगी पर इसका हैंड्स ऑन प्रशिक्षण मिला, वहीं अमेरिका में विदेशी डाक्टरों को अधिकांशतः बिना मरीज को छुए मात्र देखने की अनुमति होती है।
उन्होंने बताया कि हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी शुरू होने से गुर्दे की गंभीर बीमारी से जूझ रहे रोगी लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही आयुष्मान भारत योजना में इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी के शामिल होने से गरीब मरीजों को इसका अत्यधिक लाभ मिलेगा।

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