प्रधानमंत्री ओली के बयान”कूटनीति” के स्थापित मानकों के विपरीत : नारायणकाजी श्रेष्ठ
काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पर इस्तीफे के बढ़ते दबाव के बीच देश में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि शर्मा ने हाल में ”कूटनीति” के स्थापित मानकों के विपरीत “चिढ़ाने” वाले भारत विरोधी बयान देकर तीन गलतियां की हैं।
उन्होंने कहा कि पहली ग़लती भारत के चिह्न ‘सत्यमेव जयते’ के बारे में चिढ़ाने वाले तरीके से बोलकर की गई, दूसरी ग़लती भारत पर अपनी सरकार को गिराने की साजिश रचने के लिए दोष मढ़ना था जो कि निराधार है, और तीसरी गलती उन्होंने यह दावा करके की कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या नेपाल के बीरगंज के पास स्थित है।
पिछले महीने, प्रधानमंत्री ओली ने आरोप लगाया था कि भारत उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ मिलकर उन्हें सत्ता से बाहर करने की साजिश कर रहा है। उनका यह बयान नेपाल द्वारा एक नया नक्शा मंजूर करने के लिए एक विधेयक पारित करने के बाद आया, जिसमें नेपाल और भारत के बीच विवाद के केंद्र रहे इलाके – लिपुलेख दर्रा, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल के क्षेत्र के तौर पर दिखाया गया था।
ओली ने उसके बाद इस महीने यह दावा करके एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया कि ”असली अयोध्या भारत में नहीं, बल्कि नेपाल में है और भगवान राम का जन्म दक्षिण नेपाल के थोरी में हुआ था।” ओली की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (सीपीएन) के प्रवक्ता एवं सेंट्रल सेक्रेटैरिएट के सदस्य नारायणकाजी श्रेष्ठ ने प्रधानमंत्री ओली के बयानों को ”कूटनीति” के स्थापित मानकों के विपरीत करार दिया। उन्होंने कहा, ”प्रधनमंत्री ओली ने भारत के खिलाफ चिढ़ाने वाले बयान देकर एक बहुत बड़ी गलती की, ऐसे समय में जब सीमा मुद्दे को (दक्षिणी पड़ोसी के साथ) बातचीत के जरिए सुलझाने की जरूरत है।”
प्रवक्ता ने ‘हिमालयन टीवी’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ”प्रधानमंत्री ओली द्वारा भारत के राष्ट्रीय चिह्न का उल्लेख करते हुए चिढ़ाने वाले बयान देकर कालापानी और लिपुलेख की विवादित भूमि पर दावा करना एक गलती थी।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ओली ने भारत के संबंध में तीन गलतियां की, हालांकि सरकार द्वारा एक नया नक्शा जारी करके कालापानी और अन्य क्षेत्रों पर किया गया दावा सराहनीय था।