UTTARAKHAND
गैरसैंण राजधानी ही पर्वतीय राज्य के विकास का एक मात्र विकल्प
गैरसैंण को स्थायी राजधानी के रूप में देखना होगा तभी विकास संभव
व्योमेश जुगरान
गैरसैंण है उत्तराखंड का दिल
गैरसैंण उत्तराखंड का दिल है और मानव शरीर में दिल से ही रक्तवाहिनियाँ रक्त का प्रवाह बनाते हुए शरीर को जीवंत बनाती है ठीक इसी तरह जब तक गैरसैंण स्थायी राजधानी नहीं बन जाती पर्वतीय प्रदेश की न तो परिकल्पना ही पूरी हो सकती है और न प्रदेश के आखिरी गांव तक ही विकास की किरण ही पहुँच सकती है।
क्योंकि देहरादून सचिवालय या विधानसभा के वातानुकूलित कमरों में बैठकर आराकोट से अस्कोट के बारे में नहीं सोचा जा सकता है इसके लिए उसी वातावरण में रहकर योजनाएं बनानी होंगी वहां की भौगोलिक परिस्थितियों को समझना होगा वहां के जल,जमीन और जंगलों से जुड़ना होगा।
राजेन्द्र जोशी