पौड़ी के ग्राम प्रधानों को अब तक नहीं मिली कोई सहायता
साधनविहीन प्रधान बिना पैसे के कैसेे लड़ेंगे कोरोना से जंग
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। कांग्रेस के प्रदेश सचिव कवीन्द्र इस्टवाल ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने कोरोना के खिलाफ जंग में ग्राम प्रधानों को झोंक दिया है लेकिन उनको कोई अधिकार या सुरक्षा उपकरण नहीं दिया है। उनके अनुसार पौड़ी के ग्राम प्रधानों को आज तक वित्तीय अधिकार नहीं मिले हैं। पौड़ी के जिस इंडोसिंड बैंक में ग्राम प्रधानों का खाता खोला गया है, उस बैंक में ही तकनीकी दिक्कत है तो ग्राम प्रधान इस बैंक से पैसे भी नहीं निकाल सकते हैं। ऐसे में ग्राम प्रधान आखिर जेब से कब तक कोरोना के खिलाफ जंग लड़ेंगे।
पौड़ी जिले में पिछले डेढ़ महीने जरूरतमंदों और प्रवासी मजदूरों की मदद अभियान चला रहे कवीन्द्र ने कहा कि गांवों में ग्राम प्रधान को थर्मल स्क्रीनिंग के लिए टेम्परेचर गन तक नहीं दी गई है। न ही माॅस्क और सेनेटाइजर दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने कोरोना से लड़ने में हाथ खड़े कर दिये हैं और निरीह ग्राम प्रधानों को जिम्मेदार ठहरा दिया है कि वो ही गांवों में कोरोना प्रसार को रोकें। जबकि स्थिति पर्वतीय इलाकों में दिनों-दिन गंभीर हो रही है, क्योंकि अधिकांश प्रवासी लोग क्वारंटीन के नियमों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं। ग्राम प्रधानों की बात कोई नहीं मान रहा है, जबकि सरकार को हर क्वारंटीन सेंटर पर नोडल अफसर तैनात करने चाहिए थे।
कवीन्द्र इस्टवाल के अनुसार प्रवासियों को क्वारंटीन करने के लिए न तो खाद्यान्न की व्यवस्था की गई है और न ही रसोई गैस की। क्वारंटीन सेंटर प्राइमरी स्कूलों का बुरा हाल है। अधिकांश के दरवाजे टूटे हुए हैं और बिजली की सुविधा भी नहीं है। प्रवासी ग्राम प्रधान से खाने और रहने की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं लेकिन ग्राम प्रधान बिना संसाधनों और बजट के कैसे व्यवस्था करे? ऐसे में ग्राम प्रधान प्रवासियों के लिए दुश्मन साबित हो रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि तुरंत ग्राम प्रधानों को वित्तीय अधिकार दिये जाएं और कोरोना से लड़ने के लिए पर्याप्त बजट साथ ही बुनियादी सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि प्रवासियों के लिए कोटद्वार, श्रीनगर में क्वारंटीन सेंटर बनाए जाएं ताकी जो भी प्रवासी भाई बहन अपने गाँव आ रहे व सुरक्षित घर जा सके
गौरतलब है कि प्रदेश में गत वर्ष अक्टूबर में पंचायतों के चुनाव हुए थे और इसके बाद से ही अब तक ग्राम प्रधानों को वित्तीय अधिकार नहीं मिले हैं। बताया जाता हॅै कि ग्राम प्रधानों के खाते पौड़ी के इंडोसिंड बैंक में खोले गये हैं, अधिकांश ग्राम प्रधान इस बैंक को ही नहीं जानते हैं। जो प्रधान पौड़ी इस बैंक में जा रहे हैं तो उन्हें बैंक द्वारा डोंगल की समस्या बता कर बैरंग लौटा दिया जा रहा है।