PERSONALITY
छोटी कोशिशों से ‘बड़ी’ उम्मीदों को पंख लगाता एक कलेक्टर…..



हमारे सिस्टम में तीन पदों की बड़ी अहमियत है, पीएम, सीएम और डीएम। किसी भी जिले में डीएम यानी कलेक्टर जिसे जिलाधीश भी कहते हैं और जिलाधिकारी भी, कुछ राज्यों में इसे उपायुक्त भी कहा जाता है। कहते हैं कि कलेक्टर को असीमित अधिकार होते हैं। ब्रिटिश शासनकाल के साल 1772 में सृजित किया गया यह पद उस वक्त भले ही भू-राजस्व की वसूली के लिए किया गया हो, लेकिन आजादी के बाद से देश में इस पद के मायने बदल चुके हैं।
अब बासा को ही लें, पर्यटन के क्षेत्र में पौड़ी जिले में हुआ यह भी एक अभिनव प्रयोग है, जो इन दिनों खासा चर्चा में है। बासा एक गढवाली शब्द है जिसका अर्थ है रात्रि प्रवास। पौड़ी के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल खिर्सू में यह एक मॉडल के तौर पर शुरू किया गया। कलेक्टर धीराज गर्ब्याल की पहल पर विशिष्ठ पर्वतीय शैली में तैयार किया गया यह होम स्टे बहुत की कम समय में तैयार होकर फिलवक्त आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसकी खासियत यह है कि इसका मॉडल राज्य की मूल अवधारणा से मेल खाता है।
इसके पीछे अवधारणा यह है कि होम स्टे की आर्थिकी गतिविधियों से किसी न किसी रूप में आसपास के क्षे़त्र भी जुड़ जाएं। जिलाधिकारी धीराज का कहना है कि यह पूरा एक डवलपमेंट मॉडल है, बासा जैसे होम स्टे मॉडल से जहां एक ओर पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी, वहीं खेती, बागवानी और पशुपालन को भी बढावा मिलेगा। स्थानीय उत्पादों की डिमांड बढ़ेगी, उन्हें बाजार मिलेगा तो उत्पादन भी बढ़ेगा और रोजगार भी मिलेगा।
आमतौर पर कलेक्टर आज सिर्फ एक पोस्टमास्टर की भूमिका में हैं। जनता की समस्या पर निर्णय लेने के बजाय उन्हें सरकार की ओर सरकाने का काम करते हैं और कुछ नया करने के लिए सरकार के आदेश और बजट का इंतजार करते हैं। पौड़ी जिले की बात इन दिनों अलग है। उदाहरण के तौर पर पौड़ी में सेब की उन्नत खेती के लिए योजना तैयार हुई। विभाग के पास न प्रशिक्षित हैं और न विशेषज्ञ, ऐसे में सरकार की ओर नहीं ताका गया। जिला प्लान से वित्तीय मदद लेकर किसानों के प्रशिक्षण के लिए हिमाचल की प्रतिष्ठित ‘काल्सन नर्सरी’ से अनुबंध किया गया। किसानों को उन्नत किस्म के सेब के पौधे सस्ते दामों में उपलब्ध हों इसके लिए मॉडल नर्सरी तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया। नैनीडांडा ब्लाक में सालों से निष्क्रिय पड़े पटेलिया फार्म में एमएम सीरीज की दस हजार रुट स्टॉक क्षमता के सेब के पौधों की नर्सरी विकसित की जा रही है। दिलचस्प यह है कि मॉडल के तौर पर डीएम आवास में भी उन्होंने तकरीबन सौ पेड़ों का सेब का बगीचा तैयार कराया है।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.