POLITICS
उत्तराखंड के चार जिलों के जिलाध्यक्षों पर पशोपेश में पार्टी,आज भी टली जिलाध्यक्षों की घोषणा
चार जिलों के जिलाध्यक्षों की घोषणा पर पेंच फंसने के चलते रुकी घोषणा !
हरिद्वार , उधमसिंह नगर और देहरादून सहित नैनीताल जिलों के जिलाध्यक्षों को लेकर पार्टी पशोपेश में !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
पार्टी का अध्यक्ष कुमाऊं मंडल से ही बनेगा!
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अभी तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अब एक सप्ताह का ही समय बचा है। पार्टी के आलाकमान द्वारा उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष पद पर चुनाव मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह व केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल को नामित किया गया है।
पार्टी के सांगठनिक चुनाव के राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी राधामोहन सिंह ने पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेताओं को उत्तराखंड का पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।हालाँकि पार्टी ने 15 दिसंबर तक प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की बात कही है। लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश अध्यक्ष के लिए पार्टी को क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने की होगी।
वहीं सूत्रों के मुताबिक यह तय है कि पार्टी का अध्यक्ष कुमाऊं मंडल से ही बनेगा। इनमें पार्टी के दो विधायक और संगठन के एक पदाधिकारी का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए कतार में है।
देहरादून । उत्तराखंड में भाजपा के सांगठनिक चुनाव को लेकर पार्टी के भीतर लॉबिंग जोर पर है। इधर मंडल अध्यक्षों के बाद रविवार को जिलाध्यक्षों के नामों पर होने वाली घोषणा को कुछ जिलों में पेच फंसने के कारण पार्टी को रोकना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के भीतर मेरा -तेरा को लेकर घमासान मचा हुआ है। यही कारण है कि पार्टी को जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा को एन वक़्त पर रोकने को मज़बूर होना पड़ा है।
गौरतलब हो कि संगठन के लिहाज से अत्यंत मजबूत भाजपा में इन दिनों सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। एक सप्ताह पूर्व पार्टी मंडल अध्यक्षों के नाम घोषित कर चुकी है। पार्टी ने तय किया था कि सभी सांगठनिक जिलों में अध्यक्ष पदों पर सर्वानुमति कायम कर ही निर्णय लिया जाएगा। इसके लिए रविवार, यानी आठ दिसंबर की तिथि तय की गई थी।लेकिन आपस में सहमति न बन पाने के कारण इस घोषणा को टाल दिया गया है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कुल 14 सांगठनिक जिलों में से अधिकांश जिलों में अध्यक्ष पदों पर सर्वानुमति बन चुकी है लेकिन प्रदेश के मैदानी इलाके के तीन से चार जिले ऐसे हैं, जिनमें पार्टी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है। इसलिए जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा को कुछ समय के लिए टाल दिया गया है।