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क्या गीताराम की तरह NH-74 मुआवजा घोटाले मामले में लिप्त अधिकारियों पर शासन करेगा निलंबन ?

फजीहत के बाद : 31 अक्टूबर को गिरफ्तारी होने के 20 दिन बाद बैक डेट में हुआ निलंबन 

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सम्पति अटैच होने के बाद अब कब होगा मुआवजा घोटाले में लिप्त लोगों का निलंबन 

राजेन्द्र जोशी 

देहरादून : समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीता राम नौटियाल के निलंबन के मामले में फजीहत झेल चुका उत्तराखंड शासन क्या अब राष्ट्रीय राज मार्ग -74 में हुए मुआवजा घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ऊधमसिंह नगर के तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलओ) व वर्तमान में रुद्रप्रयाग के उपजिलाधिकारी डीपी सिंह समेत 23 लोगों की संपत्ति अटैच किये जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय की जांच की जद में  आये अधिकारियों का यथा समय निलंबन करेगा या नहीं यह अभी भी भविष्य के गर्भ में है। 

गौरतलब हो कि ऐसे मामले में यानि आया से अधिक संपत्ति के अटैच होते ही लोकसेवक को निलंबित कर सेवा बर्खास्तगी की फाइल चलनी होती है। लेकिन प्रदेश शासन में सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति की हवा निकालने पर जुटे अधिकारी क्या ऐसा कुछ कर पाएंगे जिससे यह पता चले कि वास्तव में राज्य सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर शासन भी अमल करने को तैयार है। 

उल्लेखनीय है कि बीती 31 अक्टूबर को दशमोत्तर छात्रवृति घोटाले में गिरफ्तार किये गए समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीता राम नौटियाल को गिरफ्तार करने में ही पुलिस साहिर शासन के पसीने छूट गए थे। गीता राम नौटियाल ने मामले में फंसने के बाद से पुलिस और शासन को निचली अदालतों से लेकर देश की सर्वोच्च अदालत तक खुद को गिरफ्तार न होने देने को लेकर ऐसा छकाया कि पुलिस सहित प्रशासन के पसीने छूट गए।  जबकि घोटाले को सामने लाने वाले और इस समूचे प्रकरण को जनता के सामने लाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अधिवक्ता चंद्र शेखर करगेती को भी कम परेशानी नहीं झेलनी पड़ी लेकिन सच तो चीख-चीख कर बोलता है उनकी आवाज का ही दम था जो छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति में घोटाला करने वाले आज कुछ जेल में हैं और कुछ जेल जाने को तैयार हैं। मामले में जांच का जिम्मा सँभालने वाले टीसी मंजुनाथ और उनकी कर्तव्यनिष्ठ टीम के हौसले को भी दाद देनी होगी जिन्होंने मामले को अंजाम तक पहुँचाया है। 

लेकिन दूसरी तरफ यदि देखा जाय तो एन एच -74 मुआवजा घोटाले में अभी बड़े -बड़े मगरमच्छों का गिरफ्त में आना बाकी है।  तत्कालीन कुमायूं मंडल के आयुक्त सैंथिल पांडियन के प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद से मामले की जांच में सुस्ती साफ़ दिखाई दे रही है।  मामले में गिरफ्त में आये दो आईएएस अधिकारी कुछ दिन निलंबित रहने के बाद एक बार फिर घोटालों को जहाँ अंजाम देने में जुटे हुए हैं वहीँ अपने पिछले घोटालों को दबाने की कोशिश में हैं। इतना ही नहीं इनकी पहुँच के चलते ऐसे अधिकारी एक बार फिर मलाईदार कुर्सियों पर बैठकर मलाई चाटने में जुटकर सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की हवा निकालने में जुटे हुए हैं।  

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