UTTARAKHAND

काली कमाई खपाने की नीयत से बनाईं कई कंपनियां !

एक के लिए भी रकम न जुटने के बाद जारी रखा कई नई कंपनियां खोलने का सिलसिला

खुद को पाक-साफ साबित करने के इरादे से डाली पोस्ट ने पैदा किया संदेह

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून। आपने कभी ऐसा सुना है कि एक कंपनी का खाता खोलने के लिए भी रकम का इंतजाम न हो पाए और कोई व्यक्ति कंपनी पर कंपनी बनाता रहे। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी नीयत में खोट साफ़ नज़र आती है। इस तरह की कंपनियां बनाने का एक के बाद दूसरी और फिर न जाने कितनी कंपनियों को बनाये जाने का सिलसिला तभी संभव है कि जब किसी को भविष्य में काली कमाई होने की उम्मीद रही हो। ताकि इन्हीं कंपनियों के जरिए उस काली कमाई को ईमानदारी की कमाई साबित किया जा सके।

इन दिनों सोशल मीडिया में एक कथित पत्रकार की ब्लैक मेलिंग का मामला छाया हुआ है। यह ब्लैक मेलर पहाड़ के कुछ लोगों को अपनी लच्छेदार भाषा में समझाकर एक गैंग बना चुका है। सोशल मीडिया में कुछ जागरूक लोगों ने इसकी अकूत कमाई का माध्यम जानना चाहा और बताया कि एक कथित पत्रकार कितनी कंपनियों का मालिक है और क्या उत्तराखंड में किसी और पत्रकार ने कभी एक भी कम्पनी बनाने के बारे में सोचा या वह अपनी जिंदगी की जद्दोजहद में ही मीडिया घरानों की नौकरी करने में ही अपना जीवन खपा गया।

इसके जवाब में इस कथित पत्रकार ने एक पोस्ट डाली है और अपनी कंपनियों का हिसाब-किताब देने की कोशिश की। इसी पोस्ट ने इसकी सारी कलई खोल दी है। इसका दावा है कि उसने जो कंपनियां बनाईं, उनमें से कई का तो बैंक खाता भी नहीं खुल पाया है। बस यही बात उसकी नीयत में खोट जाहिर करती है। जब एक कंपनी का बैंक खाता खोलने के लिए रकम का इंतजाम नहीं हो पाया तो तमाम नई कंपनियां खोलने के पीछे क्या खेल है। इतना ही नहीं, एक ही प्रकृति के व्यवसाय हवाई सेवा की तीन से चार कंपनियां बनाने का क्या औचित्य है।

अहम बात यह है कि इस कथित पत्रकार पर स्टिंग करने और उनकी आड़ में ब्लैक मेलिंग की कोशिश करने जैसा गंभीर आरोप भी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि ब्लैक मेलिंग से होने वाली काली कमाई को खपाने के लिए इतनी कंपनियां खड़ी की जाती रहीं और ब्लैक मेलिंग में सफलता नहीं मिली तो अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया में एक अभियान सा छेड़ दिया इस शातिर ने।

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