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देश के 62 कैंटबोर्ड मे निवासरत सिविल नागरिकों पर नहीं होगा अन्याय : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह


नई दिल्ली। देश के 62 कंटोनमेंटो के सिविल इलाको मे निवासरत करीब 50 लाख सिविल नागरिकों के ऊपर अग्रेजो के बनाए 12 सितम्बर सन 1836 के गवर्नर जनरल आड्स (जीजीओ) कानून जो देश की आजादी के 72 वर्षो बाद भी नागरिको के मूल अधिकारों का हनन कर रहा है, जिसके दुष्परिणाम स्वरूप सिविल नागरिक नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश मे उनके साथ दोयम दर्जे के नागरिक जैसा व्यवहार मोदी सरकार (दो) मे भी बदस्तूर जारी क्यों? उक्त गम्भीर मानवीय लोकतांत्रिक विषय पर देश के 62 कैंटबोर्ड के 101 जन प्रतिनिधियों ने 29 व 30 जुलाई को नई दिल्ली स्थित इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर मे गहन मैराथन मंथन ‘आल इंडिया सिटीजनस वेलफेयर एसोशिएशन'(ACCiWA)के बैनर तले आयोजित किया गया।
उल्लेखनीय है कि 22 जुलाई को उक्त प्रतिनिधि मंडल ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। उन्हे पूर्व रक्षामंत्री सीतारमण के कार्यकाल मे लिए गए निर्णय, जिसमे पूर्व प्रशासनिक अधिकारी सुमित बोस की अध्यक्षता मे गठित 6 सदस्यों की इंपैनलमैन्ट कमेटी द्वारा रक्षामंत्रालय को सिविल नागरिको की समस्याओं के निराकरण हेतु सारगर्भित रिपोर्ट सौपी गई थी, पर जानकारी चाही थी। रक्षामंत्री राजनाथ ने मोजाम्बीक यात्रा 31 जुलाई के बाद एसोशिएसन सदस्यों को मिलने का आश्वासन यह कह कर दिया ‘किसी भी छावनी इलाको मे निवासरत सिविल नागरिको के साथ अन्याय नही होगा।’Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.