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डॉ. हरक सिंह रावत के तरकश से निकले तीरों से कौन हुए गंभीर !

  • मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं : डॉ. रावत 
  •  पहले की मोदी की तारीफ़ और फिर की राहुल की तारीफ़!
  • हरक के शब्दबाणों के सियासी हलकों में निकाले जा रहे कई निहितार्थ 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून। कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत जब भी कुछ  बोलते हैं तो कभी वे खुद ही अपने विरोधियों के निशाने पर आ जाते हैं और कभी सामने वालों को अपने बोल के निहितार्थ लगाने को छोड़ देते हैं कि अब आपको जो सोचना है और जो बोलना है बोलिये हमने तो अपनी बात कह दी।  कई बार उनकी बेबाकी सियासी फिजां में सर्द मौसम में भी गर्माहट घोल देती है। यह उत्तरप्रदेश में पहली बार मंत्री बनने से लेकर बीते 28 वर्षों से मंत्री रहने के दौरान कई बार हो चुका है।

देहरादून में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ क्या की कि सियासी पारा आसमान छू गया उन्होंने कहा कि राहुल का संयम और समय सबसे बड़ा हथियार संबंधी बयान उनके मन को छुटे हुए निकल गया है।  सियासत में 28 साल से मंत्री पद से आगे न बढ़ पाने की पीड़ा उनकी जुबां पर छलकी तो उन्होंने कह डाला कि प्रदेश में पुलिस सिपाही चार प्रमोशन पाकर दारोगा बन गया, लेकिन मैं 1991 से कल्याण सिंह की सरकार से अब तक सिर्फ मंत्री पद पर ही रहा हूं। उन्होंने कहा अब तो लोग पूछने लगे हैं कि मंत्री रहते हुए क्या वे बोर तो नहीं हो गए के जवाब में उन्होंने कहा कि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। एक फौजी का बेटा तमाम झंझावतों को पार करते हुए यहां तक पहुँच गया यह कोई कम बड़ी उपलब्धि नहीं लेकिन अब वे किसी की परवाह किए बगैर आत्मसंतुष्टि को काम करेंगे। बहुत ही साफगोई से उन्होंने कहा , पिछले 18 साल में राज्य का जो अपेक्षित विकास होना था वह नहीं हो पाया है। उन्होंने यह कहने में भी संकोच नहीं किया कि कई बार सच बोलने पर वह मुसीबत में फंस जाते हैं। डॉ. हरक सिंह के तरकश से निकले इन शब्दबाणों के सियासी हलकों में कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।

बीते काफी लंबे समय से शांत रहे कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत सोमवार को कर्मचारियों के एक कार्यक्रम में पूरी रौ में दिखे। उन्होंने अपने अब तक के सियासी सफर से लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष पर भी बेबाकी से राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में रहने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान कि छोटे लोगों के लिए बड़ा काम करना है, वह भी उनके मन को छू गया था। वहीं अब भाजपा में रहते हुए कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का संयम और समय सबसे बड़ा हथियार संबंधी बयान उनके मन को छू गया है । इतना ही नहीं उन्होंने कहा अब राहुल कुछ हद तक समझदार हो गए हैं। कांग्रेसियों को राहुल से सीख लेनी चाहिए। हालांकि, यह भी कहा कि प्रदेश में कांग्रेस वेंटिलेटर पर है और कितना भी बड़ा सर्जन उसे पुनर्जीवन नहीं दे सकता।

प्रदेश में जिस बात की चर्चा अक्सर नुक्कड़ों पर होती है उसे भी हरक सिंह रावत ने स्वीकार करते हुए कहा कि 18 साल बाद भी राज्य का सही मायने में विकास नहीं हुआ और उन्होंने कहा कि यह राज्य के नेताओं और अफसरों की नाकामी है। प्रदेश की नींव का ढांचा ऊपर से बड़ा और नीचे से छोटा कर दिया है। उन्होंने कहा मैं सच कहता हूं तो कई बार मुसीबत में फंस जाता हूँ , लेकिन अब मुझे इसकी परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अफसरों की फौज तो खड़ी कर दी गई है, मगर धरातल पर काम करने वालों की संख्या कम कर दी गई है।

वहीं उन्होंने मंत्रियों विधायकों के वेतनभत्तों का जिक्र तो नहीं किया लेकिन उसी पर कटाक्ष किए बगैर उन्होंने बेबाकी से कहा कि जब हमें अपने लिए करना होता तो सब कुछ जायज। नियम-कानून सब टूट जाते, मगर जब छोटे कर्मचारियों की बारी आती तो कलम डगमगा जाती। यदि नीयत साफ हो तो डरने वाली कोई बात नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह अपने अधिकारियों-कर्मचारियों से कहते हैं कि जनहित और विकास के मामले में जहां उनका हाथ कांपता है, वह पत्रावली मेरे पास भेज दो मैं निर्णय लूंगा। जेल जाऊंगा तो मैं। पौड़ी लोक सभा सीट से दावेदारी के संबंध में उन्होंने जो संकेत दिए हैं उससे साफ़ है कि वे भी पौड़ी से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं लेकिन उन्होंने अपनी बात पार्टी पर डालते हुए कहा कि यह निर्णय पार्टी अथवा संगठन को करना है और संगठन का जो भी आदेश होगा हम तो कार्यकर्त्ता हैं हमें तो उस आदेश का पालन करना है।

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