बंद हुए केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट

- -भैयादूज पर बंद हुए केदारनाथ धाम के कपाट
- – यमुनोत्री धाम के कपाट भी हुए बंद


- यमुनोत्री धाम के कपाट भी हुए बंद
शुक्रवार को शनिदेव की डोली खुशीमठ से सुबह आठ बजे ढोल-नगाड़े के साथ यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई तथा 10 बजे यमुनोत्री धाम पहुंचेगी। जहां वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन, पूजा-अर्चना के बाद यमुनोत्री धाम के कपाट बंद किये गए। जिसके बाद शनि देव की अगुवाई में मां यमुना की डोली खुशीमठ के लिए प्रस्थान किया और छह माह तक यमुना के दर्शन देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं खुशीमठ (खरसाली) में करेंगे। भैयादूज के पावन पर्व पर यमुनोत्री धाम में स्नान एवं पूजा-अर्चना का अपना विशेष महत्व है। भैयादूज अर्थात यम द्वितीया के इस पर्व पर यमुना में स्नान व पूजा-अर्चना करने से यम यातना से मुक्ति मिलती है। इस दिन देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं यमुनोत्री धाम में पूजा-अर्चना तथा यमुना में स्नान करने पहुंचे हैं।
भैयादूज का दिन भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है। भाई-बहन यमुनोत्री धाम पहुंचकर अपने भाई एवं बहन अपने-अपने रिश्तों को जन्म-जन्मांतर तक बरकरार रखने की एवं उनके जीवन में खुशहाली की कामना करते हैं। भैयादूज के पावन पर्व पर यमुनोत्री धाम में यम यातना से मुक्ति के लिए श्रद्धालु यमुनोत्री धाम में पहुंचकर यमुना में स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन एक दूसरे की मंगल कामनाओं के लिए श्रद्धालु मां यमुना से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि सूर्य ने तीनों लोकों के हित के लिए यमुनोत्री धाम में यमुना को पृथ्वी पर अवतरित कराया। उत्तर वाहिनी यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व है और यमुनोत्री धाम में यमुना उत्तर वाहिनी है। जो समस्त पापों से विश्व को मुक्ति दिलाने वाली है।
मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया है कि सनातन जगत में भैया दूज अर्थात कार्तिक शुक्ल द्वितीय को यम अपने सभी कार्यों को छोड़कर अपनी बहन यमुना को मिलने यमुनोत्री धाम पहुंचते हैं। तब से जो भाई-बहन इस पर्व के अवसर पर यमुनोत्री धाम में पहुंचते हैं और यमुना में स्नान कर इस पर्व को मनाते हैं, उनके रिश्ते जन्म जन्मांतर के लिए भाई-बहन के प्रेम के बंधन में जाते हैं।
यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित पंडित पवन उनियाल का कहना है कि यमुनोत्री धाम में यम द्वितीया के इस पर्व पर स्नान व पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन यमुना में स्नान करने से यम यातना सेे मुक्ति मिलती है। यमुनोत्री धाम के कपाट छह माह तक शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं तथा छह माह तक मां यमुना की टोली अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ में रहती है।
यमुना के स्वागत के लिए खुशीमठ में तीर्थ पुरोहितों तथा श्रद्धालुओं द्वारा पूरी तैयारियां कर ली है। यमुना के पहुंचने पर खुशीमठ में इस दिन त्यौहार के रूप में मनाते हैं तथा धूमधाम से संगीत कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। मंदिर प्रांगण में ढोल-नगाड़े की थाप पर रासो एवं तांदी नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं। यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने से पहले खुशीमठ से शनिदेव की डोली यमुना को लेने यमुनोत्री धाम पहुंचती है।
उधर यमुनोत्री धाम दोपहर 12.15 बजे बंद किए गए। इसके बाद शनिदेव की अगुआई में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यमुना की डोली शीतकालीन प्रवास खरसाली पहुंची। यहां ग्रामीणों ने डोली का भव्य स्वागत किया। बाद में यमुना की उत्सव मूर्ति मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। इस अवसर पर विधायक केदार सिंह रावत, डीएम डॉ. आशीष चौहान, एसडीएम अनुराग आर्य, यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कीर्तेश्वर, उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल, पूर्व उपाध्यक्ष पवन उनियाल उपस्थित थे।