EXCLUSIVE

ठीक से फीता पकड़ा भी नहीं और बन बैठे प्रोजेक्ट मैनेजर !

  • तीनों ने जुगाड़बाज़ी करके ब्रिड़कुल में  हथिया दिया प्रोजेक्ट मैनेजर का पद !

देहरादून : अभी फीता ठीक से पकड़ना भी नहीं आता था कि पेयजल विभाग के तीन अवर अभिंताओं ने जुगाड़बाजी करके ब्रिडकुल में प्रोजेक्ट मैनेजर का पद हथिया दिया।  उत्तराखंड में ऐसे कई विभाग हैं जहाँ अधिकारी और कर्मचारी बीते  कई सालों से  मूल विभाग से प्रतिनियुक्ति लेकर मलाईदार विभागों या संस्थानों में मलाई चाट रहे हैं।  इनमें कई ऐसे अभियंता  शामिल हैं जिन्होंने अपने मूल विभागों से दूसरे संस्थानों या विभागों में जाने के लिए अनापत्ति पत्र तक नहीं लिए हुए हैं।  ऐसे अभियंता और अधिकारी वेतन तो अपने मूल विभागों से आर्हरण  कर रहे हैं लेकिन मलाई किसी और विभाग में चाट रहे हैं। 

गौरतलब हो कि उत्तराखंड सहित देश के तमाम राज्यों में प्रतिनियुक्ति कि एक शासकीय प्रक्रिया है।  किस अधिकारी या अभियंता को प्रतिनियुक्ति पर कितने समय के लिए जाना होगा यह सब तय है।  लेकिन जहाँ तक समय सीमा कि बात की जाय तो यह तीन साल से अधिकतम पांच साल तक ही प्रतिनियुक्ति के लिए तय है। और इस प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकारियों या अभियंताओं के लिए अपने मूल विभाग और जिस विभाग में वह प्रतिनियुक्ति पर जा रहा है दोनों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता है।  

लेकिन उत्तराखंड प्रदेश में ऐसे अधिकारियों और अभियंताओं के लिए प्रतिनियुक्ति के कोई मानक पूरे नहीं किये जाते यहाँ ”जिसकी लाठी उसकी भैंस” वाला मुहावरा राज्य के अस्तित्व में आने के दिन से लेकर आज तक चरितार्थ किया जाता रहा है। कई बार तो यहाँ यह देखने में आया है कि एक प्रवक्ता उस विभाग में प्रतिनियुक्ति ही नहीं बल्कि समायोजित तक हो जाता है जिस विभाग से उसका दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं होता। जबकि उत्तराखंड में अभी ताकिस तरह से समायोजन की कोई नीति ही नहीं बनी है।  लेकिन फिर भी जुगाडू अधिकारी, कर्मचारी,अभियंता और प्रवक्ता तक लगातार सत्ता की सनक और अधिकारियों की हनक का पूरा फायदा उठाते रहे हैं। 

मामला उत्तराखंड ब्रिडकुल (ब्रिज, रोप वे ,टनल एंड अदर्स ) का है जहाँ पेयजल निगम  से तीन अवर अभियंताओं ने प्रतिनियुक्ति ली और ब्रिडकुल में  प्रतिनियुक्ति  पा ली।  लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पेयजल विभाग को अभी तक यह पता नहीं कि उसके ये तीन अभियंता आखिर हैं कहाँ क्योंकि इन तीनों   अपने विभाग से ब्रिड्कुल में जाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं लिया।  इतना ही नहीं इन तीनों ने जुगाड़बाज़ी करके ब्रिड़कुल में  प्रोजेक्ट मैनेजर तक का पद हथिया दिया जहाँ ये अब जमकर मलाई चाट रहे हैं।  सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन तीनों ने वर्ष 2007 में पेयजल विभाग  में अभी फीता ठीक से पकड़ा भी नहीं था कि ब्रिड्कुल में प्रतिनियुक्ति पा ली ।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »