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शराब बिक्री के बारे में जो अफवाहें फैलाई जा रही है वह है निराधार : मुख्यमंत्री

देहरादून : आबकारी विभाग के अधिकारियों की काली करतूतों के चलते कई बार सरकारों को बैक पुट पर आना पड़ा है ठीक इसी तरह बीते दिन भी जब कैबिनेट की बैठक के बाद कैबिनेट बैठक के निर्णय का आधा-अधूरा मसौदा जब मीडिया के सामने रखा गया और बाकी जो कुछ छिपा दिया गया ,उससे सरकार की जमकर किरकिरी हुई है। आखिरकार आज जब समाचार पत्रों से लेकर सोशल मीडिया तक में जब सरकार की फजीहत होने लगी तो बार-बार और बात-बात में बयान देने के लिए मशहूर एक मंत्री और कई बयानवीर कहीं गायब हो गए। तो मुख्यमंत्री को अपनी सरकार पर हो रहीं छींटाकसी को रोकने के लिए बचाव में आगे आना पड़ा।  

मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बयान देते हुए कहा है कि शराब बिक्री के बारे में जो अफवाहें फैलाई जा रही है , वह निराधार है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारी सरकार ने एक पारदर्शी आबकारी नीति लागू की है। उन्होंने कहा कि 2014 में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार एफ.एल.-5एम/डी.एस. के नाम से एक पाॅलिसी लाई थी जिसके अंतर्गत माॅल/डिपार्टमेंटल स्टोर में 02 लाख रूपए का शुल्क देकर लाइसेंसधारियों को विदेशी शराब बेचने का अधिकार दिया गया था।

उन्होंने कहा हमारी सरकार ने इस पाॅलिसी का दुरूपयोग को रोकने हेतु नए कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि नए प्रावधानों के तहत माॅल/डिपार्टमेंटल स्टोर का लाइसेंस शुल्क 02 लाख से 05 लाख कर दिया गया है। साथ ही ये प्रावधान भी किया गया है कि यह लाइसेंस तब दिया जाएगा, जब उस स्टोर का सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये से अधिक हो। इस व्यवस्था से परचून की दुकानों में शराब की बिक्री संभव नही है। इससे वास्तविक डिपार्टमेंटल स्टोर ही उक्त अनुज्ञापन प्राप्त कर सकेंगे।

उन्होंने कहा वे मीडिया के साथियों व जनता से अपील करते हैं कि इस मुद्दे पर भ्रामक खबरों या दुष्प्रचार से बचें। एफ.एल.-5एम/डी.एस. पाॅलिसी में किए गए संशोधन परचून किराना स्टोर में शराब बेचने के लिए नहीं है बल्कि पहले से चली आ रही पाॅलिसी का दुरूपयोग रोकने का एक ईमानदार एवं पारदर्शी कदम है। सरकार शराब को बढ़ावा देने के पक्ष में नही है, बल्कि इसके लिए बनाये नियमों का पारदर्शी तरीके से लागू करने का प्रयास कर रही है।

गौरतलब हो कि सूबे की नयी आबकारी नीति को लेकर सरकार सोशल मीडिया में जनता के निशाने पर आ गयी है।  वहीँ आबकारी विभाग में एक चर्चित अधिकारी के एक मंत्री के नाक का बाल बन जाने के कारण सूबे के आबकारी विभाग की किरकिरी तो हो ही रही है वहीँ यह अधिकारी एक मंत्री को भी गुमराह करते हुए अपना उल्लू सीधा करने में  लगा हुआ है।  चर्चा तो यहाँ तक है कि इसी अधिकारी के अनावश्यक हस्तक्षेप के चलते आबकारी आयुक्त ने आबकारी निदेशालय तक बैठना छोड़ दिया है और वह सचिवालय से ही अपना काम संपन्न कर रहे हैं इतना ही नहीं बीते माह आबकारी आयुक्त द्वारा अपने इस पद को छोड़ने की इच्छा का निवेदन भी मुख्य सचिव से किया जा चुका है।  लेकिन यहाँ भी मंत्री ने  आबकारी आयुक्त से किरकिरी होने के बाद अपने पद पर बने रहने को कहा है ताकि विभाग की किरकिरी होने से बची रहे। 

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