माँ यमुना के बाद अब नृसिंह भी होंगे अपने मंदिर में विराजमान
- प्रदेश के तीसरे सबसे ऊंचे मंदिर में विराजेंगे भगवान नृसिंह
- माँ यमुना को खरसाली में मिलेगा अपना मंदिर
देहरादून : इस साल यात्रा काल के शुरू होने से पहले उत्तराखंड के दो देवी देवताओं को अपने घर यानी मंदिर मिलने वाले हैं जहाँ एक तरफ माँ यमुना को खरसाली में अपना मंदिर मिलेगा जहाँ से उनकी डोली यमुनोत्री के लिए आगामी यात्राकाल के लिए प्रस्थान करेगी तो वहीँ जोशीमठ में मंदिरों में तीसरा सबसे ऊंचे मंदिर में जोशीमठ में भगवान नृसिंह जल्द ही विराजमान होने वाले हैं। वहीँ इसी महीने 18 अप्रैल को भगवान नृसिंह बदरीश पंचायत सहित अन्य देवी-देवताओं के साथ नवनिर्मित इस मंदिर में विराजमान होंगे। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने इस आयोजन की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं।
गौरतलब हो कि खरसाली में बीते वर्षों में शीतकाल के दौरान देवी यमुना की डोली राजराजेश्वरी मंदिर में विराजमान रहती थी और वहीं से कपाट खुलने पर यमुनोत्री धाम के लिए रवाना होती थी। लेकिन अब यमुना के मायके खरसाली में नवनिर्मित यमुना मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू हो गया है, जो 11 अप्रैल को पूर्णाहुति के साथ यहाँ विराजमान होंगी। अब यात्राकाल के लिए माँ यमुना 18 अप्रैल को यमुनोत्री के लिए इसी नए मंदिर से प्रस्थान करेगी। लोक मान्यताओं के अनुसार खरसाली यमुना का देवी मायका है, लेकिन अब तक यहां उनका कोई मंदिर नहीं था। ऐसे में उत्सव डोली को विधि-विधान के साथ गांव के बीचोंबीच स्थित राजराजेश्वरी मंदिर में विराजमान किया जाता रहा है। वर्ष 2008 में यमुनोत्री मंदिर समिति और पुरोहित समाज ने खरसाली में यमुना मंदिर के निर्माण का निर्णय लिया और इसी साल काम भी शुरू कर दिया गया। पहाड़ी शैली में मंदिर का निर्माण कार्य अब लगभग पूरा हो चुका है।
वहीँ वर्ष 2012 में वसंत पंचमी के दिन जोशीमठ में भगवान सिंह के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। पहले गाजियाबाद की निर्माण एजेंसी को इस मंदिर के नवनिर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई। मगर, निर्माण एजेंसी की लेटलतीफी के चलते बाद में मंदिर समिति ने अपनी ही अलग निर्माण इकाई बनाकर यह कार्य स्वयं शुरू कर दिया।
अब नया मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। हिमाद्रि शैली मे बने इस मंदिर के पत्थरों पर शानदार नक्काशी की गई है। लगभग सात करोड़ अनुमानित लागत वाले इस मंदिर को बनाने में मंदिर समिति के 4.5 करोड़ रुपये खर्च हुए।
मंदिर समिति के अनुसार नवनिर्मित नृसिंह मंदिर उत्तराखंड का तीसरा सबसे ऊंचा मंदिर है। इसकी ऊंचाई 68 फीट है। पहले स्थान पर 72 फीट ऊंचा केदारनाथ मंदिर है, जबकि दूसरा स्थान गोपेश्वर स्थित 71 फीट ऊंचे गोपनाथ मंदिर का है।
वहीँ मान्यता है कि भगवान नृसिंह की बायीं भुजा की कलाई धीरे-धीरे कमजोर हो रही है। जिस दिन कलाई टूटकर अलग हो जाएगी, उस दिन विष्णुप्रयाग के पास पटमिला में जय-विजय पर्वत आपस में मिल जाएंगे। तब भगवान बदरी विशाल भविष्य बदरी में अपने भक्तों को दर्शन देंगे। यह भी मान्यता है कि जोशीमठ में भगवान नृसिंह के दर्शनों के बाद ही बदरीनाथ यात्रा की पूर्णता होती है।
नए नृसिंह मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा का यह है कार्यक्रम:-
16 अप्रैल: गणेश पूजन व पंचांग पूजन।
17 अप्रैल: हवन व शुद्धिकरण कार्यक्रम।
18 अप्रैल: दोपहर को भगवान नृसिंह नए मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होंगे।