डॉ. निशंक का राजनीतिक कद बढ़ा लेकिन हाथ नहीं लगी केंद्र की लालबत्ती

- पिछले छह महीने से था मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म
- मोदी टीम में डॉ. निशंक के शामिल होने के लग रहे थे कयास
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : हरिद्वार की नहीं बल्कि उत्तराखंड की सियासत में पिछले छह महीने से हरिद्वार के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल ”निशंक” को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था। लेकिन आज उस पर तब विराम लग गया जब उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। हालाँकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही डॉ. निशंक को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्थान न मिल पाया हो लेकिन उन्होंने केन्द्रीय राजनीति में शामिल होने की चर्चोओं के बीच मुकाम जरुर हासिल किया है वह भी तब जब भाजपा के भीतर के कुछ लोग उनका कद कमतर आंकने की कोशिश में लगे थे।
दरअसल अटकलें यह लगाई जा रही थी कि हरिद्वार के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल ”निशंक” को इस बार मोदी टीम में जरूर शामिल किया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आज समर्थकों की सभी उम्मीदें टूट गई और उनमें निराशा छा गई। निराशा का आलम यह है कि सांसद समर्थकों ने या तो मोबाइल स्विच ऑफ कर लिए या फिर उनके मोबाइल कवरेज एरिया से बाहर आ रहे हैं। मात्र कुछ गिने-चुने नेताओं के ही मोबाइल पर सधी हुई प्रतिक्रिया आ रही है ।
उनके समर्थकों का कहना है कि यह भाजपा हाईकमान का अपना विवेक है कि वह किसे मंत्रिमंडल में शामिल करें और किसे न करे। लेकिन डॉ. निशंक को उनके लंबे राजनीतिक अनुभव के चलते मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना जरूरी था। एक-दो समर्थक ने यह भी कहा है कि इससे पार्टी को लाभ होने के बजाए नुकसान ही होगा । यदि डॉ निशंक मंत्रिमंडल में शामिल होते तो निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी को पूरे उत्तराखंड में मजबूती मिलती। क्योंकि उनकी समूचे उत्तराखंड में स्वीकार्यता है। वहीँ उनका कहना है कि डॉ. निशंक यदि मजबूत होते तो जाहिर है कि प्रदेश में कांग्रेस और कमजोर होती।
उल्लेखनीय है कि सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के समर्थक अन्य पार्टियों के खेमों को इसी उम्मीद के साथ जोड़ने पर लगे हुए थे कि उन्हें जल्द ही मोदी टीम में शामिल किया जा रहा है। इसी के चलते कुछ पंचायत प्रतिनिधियों से भी सांसद समर्थकों ने तालमेल बैठाया था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाई जा रही थी। लेकिन अब यह रणनीति पुरानी हो गई। उन्हें अब वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।
इस बीच चर्चा यह भी जोरों पर है कि जब डॉ. निशंक पौड़ी लोकसभा सीट से भी अगला चुनाव लड़ने की सोच सकते हैं। हरिद्वार लोकसभा सीट पर पूर्व केंद्रीय एवं मौजूदा कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज या फिर हरिद्वार के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक भी ताल ठोक सकते हैं। लेकिन दोनों नेताओं के बीच बीते माह से उबरे छत्तीस के आंकड़े के चलते अब यह कह पाना संभव नहीं है कि पार्टी इन दोनों में से किसी एक को हरिद्वार से लोकसभा प्रत्याशी बनाएगी।
हालांकि अगल बगल की तीन सीटों पर ब्राह्मण समाज को टिकट संभव नहीं है। क्योंकि सहारनपुर सीट से राघव लखन पाल है जो ब्राह्मण समाज से ताल्लुक रखते हैं यदि पौड़ी से डॉ. निशंक और हरिद्वार से मदन कौशिक चुनाव लड़ने की सोचते हैं तो तीनों सीट ब्राह्मणों पर चली जाएगी जो सियासी समीकरण की दृष्टि से फिट नहीं बैठ पायेगी । जिससे सतपाल महाराज की दावेदारी मजबूती मिलेगी या फिर सहारनपुर में डाक्टर धर्मसिंह सैनी भाजपा के प्रत्याशी बनाए जाते हैं तो मदन कौशिक को चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है।
बहरहाल इन सब सियासी चर्चाओं के बीच मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से सांसद खेमे में मायूसी तो है लेकिन उत्साह इस बात का है कि उनके नेता ने राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है वह भी तब जब अधिसंख्य भाजपा नेताओं ने डॉ. निशंक को बेवजह राजनीतिक नुकसान पहुँचाने का भरसक प्रयास किया था।इतना ही नहीं इनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नज़रों में भी डॉ. निशंक का सम्मान बढ़ना अपने आप में उनकी उपलब्धि कही जा सकती है।