DEHRADUN

तो मेयर में चलेगी मुख्यमंत्री की ही पसंद

उमेश अग्रवाल, सुनील उनियाल ”गामा” पुनीत मित्तल, उमेश अहलूवालिया सहित विनय गोयल तक कतार में  

देहरादून । अब जब कि यह लगभग तय ही है कि भारतीय जनता सरकार में दायित्वों (जिन्हे पहले लाल बत्ती या राज्यमंत्री अथवा केबिनेट मंत्री स्तर के दायित्व कहा जाता था) का वितरण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के प्रदेश प्रवास से पहले नहीं हो सकता और उधर  शाह का प्रवास एक के बाद एक कई कारणों से टलता ही जा रहा है, वहीँ सत्तारूढ पार्टी में अब देहरादून तथा अन्य नगरों के मेयर पद के दावेदारों के नाम पर चर्चायें शुरू हो गई हैं ।

राजधानी के मेयर विनोद चमोली अब धर्मपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने जा चुके हैं तो इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट के लिये विधानसभा टिकट से वंचित रहे पार्टी महानगर अध्यक्ष उमेश अग्रवाल, उनके पूर्व अध्यक्ष रहे पुनीत मित्तल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आसपास सबसे ज्यादा दिख रहे प्रदेश मंत्री सुनील उनियाल गामा तथा चमोली के विश्वस्त उमेश अहलूवालिया आदि के साथ पार्टी की अधिवक्ता जया ठाकुर के नाम चर्चाओं में हैं । अब इनमें या अन्य कोई चर्चाओं से बाहर नाम दावेदार बनेगा, यह बताया जा रहा है कि पूरी तरह मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत की मर्जी या पसंद अथवा नापसंद पर निर्भर है। पहले भी चमोली अपने अन्य प्रतिद्वंद्वियों को पछाड कर दावेदार बने तो उसके पीछे तत्कालीन मुख्यमंत्री अवकाश प्राप्त मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूडी की पसंद रहा है । हालांकि बाद में दोनों के बीच तब कडुवाहट पैदा हो गयी जब खंडूडी की जगह डाक्टर रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री बने और उन्हे हटाने के अभियान में साथ देने से चमोली ने इंकार कर दिया था।

फिलहाल, चर्चाओं में चल रहे नामों से एक वरिष्ठ और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विनय गोयल ने इस सूची में अपना नाम शामिल किये जाने पर सख्ती से साफ इंकार करते हुए कहा है कि इतनी दीर्घ सेवा के बाद उन्हे अपना नाम किसी ‘चर्चा’ या ‘लाबिंग’ में लाया जाना कतई मंजूर नही है और सीधे पार्टी तथा मुख्यमंत्री ही उनकी भूमिका तय करेंगें। पार्टी के राय में इस पद के नाम तय किये जाते समय देहरादून के स्मार्ट सिटी बनाने जाने में योगदान देने की योग्यता को भी एक महत्वपूर्ण बिन्दू के रूप में देखा जा सकता है। यह भी हो सकता है कि पालिकाध्यक्ष तथा मेयर के रूप में विनोद चमोली की लंबी पारी के बाद अब पार्टी किसी महिला प्रत्याशी को आगे लाये । इससे पहले एक बार पार्टी मेयर पद के लिये कांग्रेस की स्वर्गीय मनोरमा डोबरियाल शर्मा के मुकाबले श्रीमती विनोद उनियाल को आजमा भी चुकी है। तब वे विवादास्पद परिस्थितियों में हारी थी और मामला उच्च न्यायालय तक पहुंच गया था लेकिन शासन कांग्रेस का होने के कारण उनकी किसी स्तर पर चल नहीं पाई थी ।

इनकी जगह इस बार महिला कोटे में हाल तक विशेष शासकीय अभियोजक रही अधिवक्ता जया ठाकुर का नाम चल निकला है। इन्हे बनना तो जिला शासकीय अधिवक्ता था लेकिन तत्कालीन न्याय मंत्री दिनेश अग्रवाल ने इनकी फाइल जिलाधिकारी की संस्तुति और विशेष शासकीय अभियोजक के रूप में असाधारण रिकार्ड के बाद भी इस लिये क्लियर नहीं  की थी कि उन्हे इनकी भाजपा पृष्ठभूमि की जानकारी थी । अब विशेष शासकीय अभियोजक की जगह निवर्तमान जिला शासकीय अधिवक्ता भरत सिंह नेगी आ गये और जिला शासकीय अधिवक्ता एक जिला जज के भानजे बन गये। सो, राजनीति के लिये मुक्त जया ठाकुर का नाम अब चलना ही था, सो चला। पार्टी अध्यक्ष अजय भट्ट का इस बारे में कहना था कि पार्टी में मेयर समेत किसी भी जिम्मेदारी निर्वहन के लिये प्रतिभाओं को बडा पूल है और समय आने पर नाम तय करने में विकल्पों की कोई कमी नही रहेगी । अब यह देखना होगा कि मेयर का ताज भाजपा किसके सर सजायेगी यह भी उम्मीद की जा रही है कि इसके लिए पार्टी किसी समर्पित व्यक्ति का चयन करेगी लेकिअं वह कौन होगा यह अभी भविष्य के गर्भ में है।  

devbhoomimedia

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