UTTARAKHAND

भाजपा टिकट बंटवारे में कुमाऊं में कोश्यारी की तो गढ़वाल में चली बहुगुणा की !

देहरादून : भाजपा के टिकट वितरण में कुमाऊं से पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी की फिर चली तो गढ़वाल में कांग्रेस के बागी पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा लगभग सभी बागियों को टिकट दिलवाने में कामयाब हुए हैं । सूबे के गढ़वाल मंडल से सबसे ज्यादा कांग्रेस के बागियों को टिकट मिले है भाजपा के टिकट वितरण से यह साफ़ हो गया है कि कांग्रेस से बगावत का झंडा बुलंद करने की कीमत इन विधायकों को मिली है।

भाजपा ने केदारनाथ से जहाँ अपने कई कार्यकर्ताओं को दर किनार करते हुए बागी शैलारानी रावत को तमाम विरोधों के बाद भाजपा ने टिकट दिया है, तो वहीँ भाजपा ने राज्य आन्दोलनकारी ओमगोपाल को दरकिनार कर बहुगुणा शासन काल में सत्ता के केंद्र रहे नरेंद्रनगर से सुबोध उनियाल को टिकट दिया है। उन्हें विजय बहुगुणा का साथ देने का लाभ मिला है। वहीँ रायपुर से उमेश शर्मा ‘काऊ’ तो रुड़की से प्रदीप बत्रा व विवादों से नाता रखने वाले खानपुर से कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को टिकट दिया है। भाजपा ने वहीँ विधानसभा में बागियों का झंडा बुलंद करने वाले व बहुगुणा का साथ देने वाले डॉ. हरक सिंह रावत को कोटद्वार से टिकट दिया है। वहीँ विधानसभा में शक्तिपरीक्षण के दिन कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का पल्लू पकड़ने वाली रेखा आर्य को सोमेश्वर (SC) से टिकट देकर कांग्रेस से बगावत का मूल्य चुकाया है। तो वहीँ जसपुर से शैलेंद्र मोहन सिंघल व सितारगंज से विजय बहुगुणा अपने बेटे सौरभ बहुगुणा को टिकट दिलाने में कामयाब हुए हैं।

इधर अचानक कुछ घंटे पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा का साथ देने वाले पिता पुत्र में से पिता व कबीना मंत्री यशपाल आर्य को बाजपुर (SC) व पुत्र संजीव आर्य को नैनीताल (SC) से टिकट दिया है। एक जानकारी के अनुसार पिता-पुत्र की भी भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने ही एंट्री करवाई है। वहीँ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य व उनके पुत्र संजीव आर्य के भाजपा में शामिल होने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत के मुख्य प्रवक्ता सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि आयकर अधिकारियों का दबाव, नोट बंदी व सहकारिता का गोरख धंधा को मुख्य कारण इन लोगों ने भाजपा की सदस्यता ली है। उन्होंने अपनी त्वरित टिप्पणी में बताया कि भाजपा उधार का सिंदूर लेकर राजनीति व राज्य में कब्जा करना चाहती है। दल-बदल को बढ़ावा देकर भाजपा राजनीतिक व सामाजिक सिद्धांतों की भी हत्या कर रही है। उन्होंने कहा भाजपा कांग्रेसमय होती जा रही है।

वहीँ कुमायूं मंडल में मौजूदा विधायकों को टिकट देने के पार्टी के फार्मूले के इतर जिन चेहरों को मौका मिला है उनमें भी भगतदा की चली है। इनमें कुछ उनके करीबी हैं तो चाहने वाले,जबकि कुछ को उन्होंने ही भाजपा की सदस्यता कराई थी।

कुमाऊं की 29 में से 26 सीटों पर भाजपा ने अब तक टिकट घोषित किये हैं। लेकिन हल्द्वानी, रामनगर व भीमताल पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। हालाँकि कुमाऊं की राजनीति में खासा दखल रखने वाले भगत सिंह कोश्यारी के करीबी माने जाने वाले प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को रानीखेत व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत को पिथौरागढ़ से पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं लालकुआं के टिकट में भी कोश्यारी की ही चली वे नवीन दुम्का को टिकट दिलाने में कामयाब हुए। वहीँ गंगोलीहाट से मीना गंगोला को टिकट मिला है।

जबकि हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए खजान गुड्डू को यहां टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। वहीँ कपकोट भगतदा की पुरानी सीट रही है और वहां से उनके चहेते पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बलवंत भौर्याल को पार्टी ने चेहरा बनाया है। जबकि बागेश्वर से चंदन राम दास और अल्मोड़ा से रघुनाथ सिंह चौहान कोश्यारी खेमे के माने जाते रहे हैं। वहीँ द्वाराहाट से महेश नेगी, जागेश्वर से सुभाष पांडे और चंपावत से कैलाश गहतोड़ी को भाजपा ही भगतदा ने ज्वाइन कराई थी। जिन्हें भाजपा ने टिकट दिए हैं। वहीँ तराई में उनके खास म ख़ास माने जाने वाले विधायकों में पुष्कर धामी व राजेश शुक्ला के अलावा डॉ. प्रेम राणा और हरभजन सिंह चीमा पर भाजपा ने कोश्यारी पर विश्वास जताते हुए टिकट दिए हैं। कुल मिलाकर गढ़वाल में बहुगुणा व कुमांयु में कोश्यारी की टिकट वितरण में खासी चली नज़र आ रही है।

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