सूबे में चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था : महिला सड़क पर ही बच्चा जनने को मजबूर
करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं मिल पाते हैं मौके पर ग्रामीणों को सरकारी वाहन
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड के सुदूरवर्ती पर्वतीय इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराती नज़र आ रही है इसका जीता जागता उदाहरण बीते दिन टिहरी जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कंडी की है जहाँ आवश्यक सुविधाओं के अभाव के साथ ही चिकित्सक की बड़ी लापरवाही सामने आई है। डॉक्टरों ने गर्भवती महिला को बिना जांच किए हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया परिणामस्वरूप दर्द से कराहती ग्रामीण महिला को सड़क पर ही प्री मेच्योर बच्चे को जन्म देना पड़ा। घटना बुधवार की बतायी जा रही है। इतना ही नहीं सरकार द्वारा करोड़ों रुपये आपातकालीन 108 अथवा ”खुशियों की सवारी” नाम के वाहनों पर खर्च किये जाने के बावजूद इस गर्भवती महिला को एक अदद सरकारी वाहन तक भी उपलब्ध नहीं हो पाया जिससे महिला के परिजनों को एक निजी वाहन किराये पर लेकर हायर सेंटर के लिए जाना पड़ा।
सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं होने से डॉक्टर ने दर्द से कराह रही महिला को जिला अस्पताल नई टिहरी रेफर कर दिया था, जोकि कंडी कस्बे से करीब 73 किलोमीटर दूर है। बताया जा रहा है कि जच्चा-बच्चा दोनों की हालत ठीक बताई जा रही है। लेकिन उत्तराखंड राज्य में इस तरह की घटनायें राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान जरुर लगाती है जहाँ करोड़ों रुपये स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर सरकार व मंत्री खर्च करने की बात कहते नहीं थकते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रमोलसारी की रेखा देवी को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने 108 सेवा को फोन किया। वहां से बताया गया कि वाहन मरम्मत के लिए भेजा गया है। जबकि सरकार द्वारा ”खुशियों की सवारी” नाम के वाहन ऐसे ही प्रसूता महिलाओं को लाने -ले जाने के लिए तैनात किये गए हैं लेकिन ये वाहन भी ऐसे मौकों पर उपलब्ध नहीं होते जिससे ग्रामीण महिलाओं के सामने परेशानी होती है।
रेखा देवी की हालत अधिक खराब होने पर उसे आपातकालीन स्थिति में निजी वाहन से पीएचसी कंडी पहुंचाया गया। ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं होने पर उसे जिला अस्पताल नई टिहरी रेफर कर दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दर्द से कराह रही गर्भवती को लेकर जब निजी वाहन से परिजन अस्पताल से करीब 200 मीटर आगे ही पहुंचे थे, कि महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया। इसके बाद परिजन जच्चा-बच्चा को लेकर अपने घर चले गए। रेखा का यह तीसरा बच्चा है, इससे पहले उनका पांच साल का बेटा और तीन साल की बेटी है। रेखा का पति गोबिंद सिंह मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण का काम करता है।