- चुनाव सामने आया तो याद आने लगा गैरसैंण…..
- कांग्रेस ने बनाया गैरसैंण में विधानसभा भवन व आयोजित किया विधानसभा सत्र
- भाजपा ने गैरसैंण में लायी रेल की सौगात
- गैरसैंण पर नौटंकी नहीं.. ईमानदारी से प्रदेश की राजधानी करें गैरसैंण घोषित
देवसिंह रावत
गैरसैंण । हाल में सम्पन्न हुए गैरसैंण अधिवेशन में गैरसैंण को राजधानी बनाने का ऐलान करने की हिम्मत न जुटा पाने वाले भाजपा व कांग्रेस, इन दिनों चुनावी जंग में मतदोहन के लिए गैरसैंण की नौटंकी कर रहे है। इसका सबसे बडा अजीबोगरीब नाटक आगामी 2017 के विधानसभा चुनाव में गैरसैंण को भुनाने के लिए 24 नवम्बर को भाजपा ने किया। गैरसैंण में केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने उत्तराखण्ड के लिए 551 करोड़ की रैल परियोजनाओं का सौगात दिया। गैरसैंण में परिवर्तन यात्रा के दौरान जहां रेल मंत्री ने रामनगर-चैखुटिया-गैरसैंण व टनकपुर -बागेश्वर रेलमार्ग का सर्वे परियोजना का शुभारंभ किया। वहीं इस अवसर पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने ऐलान किया कि केन्द्र सरकार शीघ्र ही उत्तराखण्ड के चारधाम यात्रा को रेल से जोड़ने की महत्वकांक्षी योजना को भी शुरू करेगी।
इससे पहले केन्द्र सरकार ने अंग्रेजों के जमाने से मंजूर की गयी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का निर्माण कार्य का शुभारंभ भी किया गया। वर्तमान सरकार ने इस 16216करोड़ रूपये की देश की सुरक्षा के दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना भी प्रारंभ कर दी हैं इस प्रकार आगामी विधानसभा चुनाव तक केन्द्र सरकार जहां भले ही जमीन पर न हो पर घोषणायें करके उत्तराखण्ड का चहुमुखी विकास कर देगी। हालांकि घोषणायें करने में प्रदेश की सत्तारूढ़ कांग्रेसी सरकार भी कहीं दो कदम दीछे नहीं अपितु चार कदम आगे ही है।
गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाकर व दो बार विधानसभा सत्र कराकर कांग्रेस ने जनता की नजरों में बुरी तरह से पछाड़ दिया है। हालत यह हो गयी है कि गैरसैंण विधानसभा के दो दिवसीय अधिवेशन में आधे अधूरे मन से सम्मलित हुई भाजपा ने चुनावी जंग में गैरसैंण मामले में पिछड़ने की आशंका से जिस गैरसैंण में रेल ही नही है वहां रेलमंत्री का मुख्य कार्यक्रम बनवा कर उत्तराखण्ड में रेलवे का जाल बिछाने का चुनावी ऐलान करने को मजबूर होना पडा। खासकर उस गैरसैंण में जहां राजधानी बनाने से भाजपा भी कतरा रही हैं। इसी माह गैरसैंण में सम्पन्न हुए विधानसभा सम्मेलन में भाजपा विधायकों ने अपनी पूरी उपस्थिति ही दर्ज कराया व नहीं भाजपा गैरसैंण राजधानी घोषित न किये जाने के लिए सत्तासीन कांग्रेस को पूरी तरह बेनकाब कर सकी।
गैरसैंण पर कांग्रेसी भी कम नौटंकी नहीं कर रहे है। विधानसभा उपाध्यक्ष तो सदन में दो टूक शब्दों में स्थाई राजधानी गैरसैंण में बनाये जाने के लिए जुबान तक खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाये परन्तु अब विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद वे भी गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने की मांग मंचों से कर रहे है। पर भाजपाई भी कम नहीं भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष गैरसैंण राजधानी बनाने के मुद्दे पर भाजपा का समर्थन जताने या पक्ष रखने के बजाय गैरसैंण में राजधानी बनाने की मांग करने वाले को डपट लगाने लगा। वहीं प्रदेश की सत्तासीन कांग्रेस पार्टी भी गैरसैंण को राजधानी घोषित करने का नैतिक साहस तक नहीं जुटा पा रही है। वह इस मामले में भाजपा को पूरी तरह बेनकाब करना चाहती है पर अपने भी सार्वजनिक नहीं कर रही है।
भले ही उत्तराखण्ड राज्य गठन से पहले जनता व पूर्व उप्र सरकार द्वारा तय की गयी पृथक उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी को राज्य गठन के 16 साल बाद भी यहां की निर्वाचित कांग्रेस व भाजपा की विभिन्न सरकारों ने घोषणा करने का साहस तक नहीं जुटा पाये हो परन्तु जैसे जैसे 2017 में होने वाला उत्तराखण्ड विधानसभा का चुनाव 2017 का समय नजदीक आ रहा है वैसे वैसे चुनावी जंग में मतदोहन की लालशा से भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों ने गैरसैंण पर नौटंकी तेज कर दी है।
जिन भाजपा व कांग्रेस सरकारों ने अपने 16 साल के कार्यकाल में गैरसैंण राजधानी घोषित करने के बजाय देहरादून में राजधानी बनाये रखने के षडयंत्र के रूप में दस साल तक तो राजधानी चयन आयोग का ढाल बना कर रोके रखा। करोड़ों करोड़ रूपये इसमें बर्बाद करके, देहरादून में कमीशन खाने व गैरसैंण में राजधानी बनाये जाने से रोकने के उदेश्य से जनभावनाओं को रौंद कर अनधिकृत रूप से विधानसभा आदि भवनों का निर्माण किया।
परन्तु इनकी नौटंकी से बेखबर उत्तराखण्ड की जागरूक जनता को विश्वास है कि चुनावी जंग में मतदोहन के लिए गैरसैंण में नौटंकी करने वाले कांग्रेस भाजपा को राज्य गठन की तरह राजधानी गठन के लिए मजबूर करेगा महाकाल। गैरसैंण पर नौटंकी करने वाले राजनेताओं जरा सुनलो! राज्य गठन की तरह राजधानी गठन के लिए मजबूर करेगा महाकाल।