आंग्ल नववर्ष 2026: आत्ममंथन से नव निर्माण की ओर
!!आंग्ल नववर्ष देशवासियों की बेहतरी का वर्ष बनें!!
( डॉ कमल किशोर डुकलान ‘सरल’)
आंग्ल नववर्ष जहां हमें हर चीज हमारे अंदर नई उम्मीद और नई ऊर्जा का संचार करता है,वहीं बीता वर्ष सिंहावलोकन के रूप में हमें अतीत की ओर सोचने के लिए इशारा भी करता है। प्रत्येक देशवासी किसी बुराई का नहीं अपितु अच्छाई का अनुकरण करें,तभी मानवता के पैमाने पर हम कोई आदर्श प्रस्तुत कर सकते हैं।
बहुप्रतीक्षित अॉग्ल नववर्ष का स्वागत है। हां, कुछ वर्ष ऐसे होते हैं, जिनके बारे में लगता है कि जल्दी समाप्त हो जाएं, ईसवी सन् 2025 भी कुछ ऐसा ही बोझिल वर्ष था। पिछले कुछ दिनों से अत्यधिक शीत लहर, धूल,कोहरे और बादल में सूर्य के दर्शन कई जगह दुर्लभ हों रहे हैं,कई जगह धूप भले न खिल रही हो, लेकिन स्याह रात ढलने के बाद जो प्रकाश पसरा है,वह सूर्य के होने का प्रमाण है। इस धूल, कोहरे और बादल में जहां हमारी नाकामी छिपी है, ईसवीं सन् 2025 हमें बीते अतीत की ओर विमर्श का पहला विषय होना चाहिए।
ईसवी सन् 2026 सूर्योदय नया अध्याय लिखने का अवसर है। इस शुरुआत सन् 2025 की पुरानी गलतियां,अफसोस और बाधाएं अतीत को समझने व नये अवसरोंका समय है। नई शुरुआत पुरानी जड़ों से जुड़कर ही सार्थक होती है। हर चुनौती के बाद आने वाला अगला क्षण एक नई शुरुआत की चाबी देता है।
जब आप स्पष्ट रूप से यह महसूस करते हैं कि हर पल आपको नए सिरे से शुरुआत करने का मौका देता है, तो जीवन की निराशा कम होती है और उत्साह बढ़ता है।
पिछले ईसवी सन् 2025 के ऋतु चक्र में ग्रीष्म ऋतु में 52 डिग्री से ऊपर तापमान झेला वहीं वर्षा काल में आपदाओं के कारण भूस्खलन ,बाढ़ मार्ग अवरूद्ध जैसी घटनाओं का सामना किया जलवायु के विमर्श के इस महत्वपूर्ण समय में हमें प्रकृति का ऋण भलीभांति चुकाना होगा। आओ पेड़ लगाए,जल है,तो कल है,धरती मेरी मां, मैं धरती का पुत्र ये केवल श्लोगन नहीं बल्कि ये धरती पर दिखाई भी देना चाहिए।
हवा,जल,आकाश से हमें जो नि:शुल्क स्नेह और जीवन मिलता है, क्या उसके बारे में कभी हम सोचते हैं? हमने क्या प्रकृति से केवल लेना-छीनना ही सीखा है? हम प्रकृति को देते क्या हैं? प्रकृति का हम पर जो ऋण है, उसे लौटाने का ईसवीं सन् 2026 आ गया है। हमें सन् 2026 में यह तय करना होगा कि हम समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का माध्यम।
अॉग्ल नववर्ष 2026 यह मनुष्य की प्रवृत्ति व प्रकृति को समझने का वर्ष होना चाहिए। हमारे बारे में कोई दूसरा फैसले ले, उससे पहले हमें अपनी बेहतरी के लिए खुद फैसले लेने पड़ेंगे। खुद के लिए क्या बेहतर है और अपनी बेहतरी किसमें निहित है,यह किसी दूसरे के लिए दुख-दर्द का कारण तो नहीं बन रही है?
आज के समय में संसाधनों की कमी से ज्यादा दूसरे के व्यवहार अनुकूल व्यवहार की कमी से मिल रही हैं। विपदा के समय हमने जो व्यवहार किया था, विपदा के समय हम कैसे किसी के काम आए थे, यह सोचकर हमें 2026 में सुधार की सीढ़ियां चढ़नी चाहिए।
नए सन् में लोग सिंहावलोकन के रूप में हमें अतीत की ओर सोचने के लिए विमर्श करें और किसी बुराई का नहीं,अपितु किसी अच्छाई का अनुकरण करें,तभी हम मानवता के पैमाने पर कोई आदर्श प्रस्तुत कर कर सकते हैं।
पिछले कोविड काल के समय संक्रमण बचाव में टीकाकरण के समय हमने देखा,कि किस तरह से अमीर देश गरीब देशों को और अमीर लोग अपने जरूरतमंद दोस्तों-रिश्तेदारों को अपने हाल पर छोड़कर एक अलग ही अकेलेपन की ओर बढ़ रहे थे। उम्मीद कीजिए, इस कमी पर ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान जाएगा।
उम्मीद की जानी चाहिए कि अॉग्ल नववर्ष 2026 में भारत की चौतरफा चुनौतियों को जवाब मिलें।
पड़ोसियों को समझ में आए,कि सीमाओं पर सभ्यता और शालीनता लौटे। तमाम बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारतीयों को न केवल उपभोक्ता समझें, अपितु अपने सामाजिक दायित्व भी वे ढंग से निभाएं। विधि का कोरा कारोबार नहीं,बल्कि न्याय की सेवा हो,तो शासन-प्रशासन का उदार स्वरूप सामने आए।
बीता 2025 में भारत में कहीं ऐसी घटनाएं हुई जो मीडिया में सुर्खियां बनी रही। इन घटनाओं में भारत के द्वारा पाकिस्तान में चल रहे आतंकी हमले भारत में चल रहे आतंकी ठिकानों पर आपरेशन सिंदूर के तहत की गई एयर स्टाइल से लेकर अहमदाबाद में हुए विमान हादसे जैसी कहीं घटनाएं हुई। वर्ष के प्रारंभ में प्रयाग में आयोजित प्रयाग महाकुंभ में लाखों लोग तीर्थयात्री शामिल हुए जब भारी संख्या में लोग मौजूद थे तो प्रयाग कुंभ में भगदड़ हुई और इस घटना से कहीं लोगों की जानें चली गई भारी संख्या में लोग इस घटना में घायल हुए।
जम्मू-कश्मीर के पहल गांव के पास बैसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर गोलियां बरसाई थी। पहल गांव हमले में 26 लोगों की जानें चली गई थी। इस घटना के बाद भारत ने आपरेशन सिंदूर प्रारंभ किया पाकिस्तान सहित पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में चल रही आतंकी संगठनों पर एयर स्टाइल प्रारंभ की।
दस दिनों तक चले भारत पाकिस्तान के बीच चलें आपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकवाद के लिए स्तेमाल होने वाले लॉचपैड को निशाना बनाना था। वर्ष 2025 में भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी सफलताओं के साथ सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाया गया और उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किए गए।
अहमदाबाद में प्लेन के क्रेश होने के बाद विमान में आग लग गई थी जिसमें सवार 270 यात्रियों एयर इंडिया का विमान हादसे में मौत हो गई थी।
यह देखना भी बहुत जरूरी है,कि बीते वर्ष में अपना ईमानदारी से खूबियों-खामियों का मूल्यांकन करें और कौन सी खामियां सफलता की राह में रुकावट बनी। ईसवीं सन् 2026 में फिर योजनाबद्ध ढंग से उन्हें दूर करने की कोशिश करें। अपनी कार्यकुशलता बढाने के साथ वक्त की पाबंदी पर आने वाले साल में निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव महसूस होगा।



