सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को वन भूमि पर अवैध कब्जों के मामले में लगाई कड़ी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को वन भूमि पर अवैध कब्जों के मामले में कड़ी फटकार लगाई है।
कोर्ट ने राज्य सरकार और अधिकारियों को “मूकदर्शक” बने रहने के लिए जिम्मेदार ठहराया, जबकि हजारों एकड़ वन भूमि पर निजी व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा व्यवस्थित रूप से कब्जा किया जा रहा था।
मुख्य निर्देश और विवरण
स्वतः संज्ञान (Suo Motu) मामला: अदालत ने इस गंभीर मामले में स्वयं संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की और एक जनहित याचिका का दायरा बढ़ा दिया।
जांच समिति का गठन: मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने मुख्य सचिव और प्रधान वन संरक्षक को एक जांच समिति गठित करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
तत्काल रोक: कोर्ट ने आदेश दिया है कि विवादित वन भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य तुरंत रोका जाए और किसी भी तीसरे पक्ष के अधिकार (बिक्री या हस्तांतरण) सृजित नहीं होंगे।
वन विभाग का कब्जा: रिहायशी मकानों को छोड़कर, जो भी खाली जमीन है, उस पर वन विभाग तुरंत कब्जा सुनिश्चित करेगा।
मामले का विवरण: यह मामला लगभग 2,866 एकड़ अधिसूचित सरकारी वन भूमि से जुड़ा है, जिसका एक हिस्सा पहले ऋषिकेश की ‘पशु लोक सेवा समिति’ को पट्टे पर दिया गया था।
अगली सुनवाई: मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी, 2026 को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के साथ कोई समझौता स्वीकार्य नहीं है।


