UTTARAKHAND

पूर्व विधायक केदार सिंह फोनिया की अंतिम यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उपस्थिति, ही दिखाई दी।

पूर्व विधायक केदार सिंह फोनिया की अंतिम यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड त्रिवेंद्र सिंह रावत  की उपस्थिति, ही दिखाई दी ।

योगी मदन मोहन ढौंडियाल कि फेसबुक वाल से
उत्तराखंड की राजनीति हमेशा सुर्खियों में रहे नेताओं में भाजपा के वरिष्ठ नेता केदार सिंह फोनिया का स्वर्गवास होना दुखद घटना है। उनके राजनीति में आने के प्रारंभिक दिन और अंतिम दिन काफी उतार चढ़ाव वाले रहे। राजनीतिक जीवन के इतिहास में केदार सिंह फोनिया जी पहला और अंतिम चुनाव हार गए थे। यह दोनों चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़े थे। केदार सिंह फोनिया की पर्यटन के क्षेत्र में बहुत कुछ जानकारियां रखते थे, लेकिन मफियावादी राजनीति उनके अनुभवों को धरातल पर नहीं उतरने देती थी।
फोनिया जी केंद्र सरकार के पर्यटन विभाग में, प्रशासनिक अधिकारी की हैसियत से कार्यरत रहे। फरवरी 1969 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में मध्यावती चुनाव होने थे। राजनीति में दोदो हाथ करने के लिए केदार सिंह फोनिया जी नौकरी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़े तथा हार गए। सेवानिवृत्त होने के बाद 1991 में फोनिया जी भाजपा से जुड़े। इस वर्ष विधायक का चुनाव जीत गए और अविभाजित उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री रहे।
उन्होंने 1993 और 1996 के चुनाव भी जीते। वे उत्तराखंड की अंतरिम सरकार में पर्यटन और उद्योग मंत्री बने। 2002 में फोनिया जी चुनाव हार गए, 2007 में फिर बदरीनाथ विधानसभा से विधायक चुने गए। राजनीतिक जीवन का आखिरी चुनाव वे 2012 में निर्दलीय लड़े और हार गए। आधिकांश समय पर्यटन से जुड़े विभागों में फोनिया साहब तैनात रहे।
इलाहाबाद से एमए करने के पश्चात 1956 में उन्होंने केंद्र सरकार के पर्यटन विभाग में सूचना सहायक पद की शोभा बढ़ाई और दो साल के बाद वे श्रीलंका स्थित भारतीय दूतावास में रहे। चार साल बाद वे ” सहायक निदेशक पर्यटन ” पद पर दिल्ली स्थानांतरित हो गए थे। उसके बाद 1965 में उन्हें नव गठित भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) के उत्तरी क्षेत्र का संस्थापक प्रबंधक नियुक्त किया गया। इसके अगले वर्ष उन्हें सरकार ने आठ महीने के अंतरराष्ट्रीय पर्यटन डिप्लोमा के लिए चेकोस्लोवाकिया भेजा था।
उन्होंने जिनेवा, फ्रैंकफर्ट, पेरिस, लंदन में भी कोर्स किए। 1969 के उपचुनाव में हारने के बाद वे वापस नौकरी पर आ गए थे और 1971 में उत्तर प्रदेश राज्य के पर्वतीय विकास निगम में डिविजनल मैनेजर, 1973 में जनरल मैनेजर नियुक्त हुए। सन 1979 में भारतीय वाणिज्य निगम में वे जनरल मैनेजर नियुक्त हुए तथा 1988 में वे सेवानिवृत्त हो गए थे।
ईश्वर केदार सिंह फोनिया जी की आत्मा को शांति प्रदान करें। ॐ शांति।
 संकलन: योगी मदन मोहन ढौंडियाल।

 

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