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67.54 लाख कालाधन रखने वाले लोगों पर मोदी सरकार की नजर

8 नवंबर के बाद के ट्रांजेक्शन पर खास निगाह

नयी दिल्ली :  काले धन के खिलाफ अभियान में छोटी मछलियों के बाद बारी अब बड़ी मछलियों की है। नोटबंदी के फैसले के बाद महज छोटी मछलियों के ही कार्रवाई की गिरफ्त में आने की बन रही धारणा से सतर्क मोदी सरकार इसे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले हर हाल में धो देना चाहती है।

इस धारणा को ध्वस्त करने के लिए सरकार नए साल के जनवरी महीने में अघोषित संपत्ति मामले में सघन अभियान चला कर बड़ी मछलियों को निशाना बनाएगी। इस संबंध में सरकार ने कार्रवाई की रूप रेखा तैयार कर ली है। अभियान पूरे महीने चलेगा। इस दौरान सरकार की निगाह काली कमाई करने वाली बड़ी हस्तियों पर होगी।

गौरतलब है कि काले धन के खिलाफ अभियान के नाम पर लिए गए नोटबंदी के फैसले के करीब डेढ़ महीने बाद भी किसी बड़ी हस्ती तक जांच या छापे की कार्रवाई की आंच नहीं पहुंची है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी नोटबंदी के फैसले के प्रतिकूल पक्षों की भी पूरी जानकारी रख रहे हैं।

इनमें छोटी काली कमाई करने वालों के खिलाफ ही कार्रवाई, लोगों को नकदी हासिल करने में हो रही परेशानी, फैसले के बाद रोजगार क्षेत्र में पड़ा प्रतिकूल प्रभाव जैसी सूचनाएं शामिल हैं। उन्हें इस फैसले के बाद बड़ी हस्तियों के खिलाफ कार्रवाई न होने के कारण बन रही धारणा का भी अंदाजा पहले से ही था।

यही कारण है कि नोटबंदी के फैसले के साथ ही उन्होंने अघोषित संपत्ति रखने वालों के लिए खिलाफ अभियान की रूपरेखा तैयार कर ली थी। उसी समय यह तय हो गया था कि 31 दिसंबर के बाद नए साल में अघोषित संपत्ति के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाया जाएगा।

इस क्रम में एक साथ कई तरह की कार्रवाई का दौर चलेगा। मसलन अघोषित संपत्ति के खिलाफ व्यापक अभियान तो शुरू होगा ही, इसके साथ ही छोटे और मध्यम स्तर की काली कमाई करने वालों के खिलाफ अभियान का सिलसिला भी जारी रहेगा।

पीएम मोदी खासतौर से काले धन को सफेद करने में कुछ बैंकों और बैंककर्मियों की भूमिका से भी सख्त नाराज हैं। ऐसे में भ्रष्ट बैंककर्मियों पर भी गाज गिरनी तय है। भ्रष्ट बैंककर्मियों के साथ-साथ बैंक के माध्यम से काला धन सफेद करने वालों को हर हाल में गिरफ्त में लेने के लिए वित्त मंत्रालय नोटबंदी के फैसले के बाद हुए एक लाख के ऊपर के सभी ट्रांजेक्शन को जांच के दायरे में रखा है। बैंकों से इससे संबंधित सारे दस्तावेज और सूचना हासिल कर संबंधित खातों के साथ-साथ बैंकों पर भी निगरानी रखी जा रही है। मोदी सरकार भ्रष्ट बैंककर्मियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई कर भ्रष्टाचार के मामले को किसी भी सूरत में बर्दाश्त न करने का भी सियासी संदेश देना चाहती है।

दरअसल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में जनवरी महीने के बाद किसी भी समय विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। मोदी सरकार के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर बड़े स्तर पर लगातार कार्रवाई का विकल्प नहीं चुना गया तो नोटबंदी के फैसले का समर्थन करने वाला बड़ा वर्ग ऐन चुनाव के मौके पर नाराज हो सकता है।

कर दायरे में आने लायक आमदनी अर्जित करने के बावजूद आय कर रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों पर सरकार सख्त हो गई है। आयकर विभाग ने कर निर्धारण वर्ष 2015-16 में 67.54 लाख ऐसे लोगों की पहचान की है, जो कि अच्छी आमदनी अर्जित करने के बावजूद आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं। इन्हें विभागीय भाषा में नॉन फाइलर्स कहा जाता है।

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड -सीबीडीटी- से मिली जानकारी के मुताबिक विभाग ने जिन नॉन फाइलर्स की सूची बनायी है, उन्होंने वित्तीय वर्ष 2014-15 में हाई वैल्यू के उल्लेखनीय ट्रांजेक्शन किया है। फिर भी उन्होंने आयकर रिटर्न दायर नहीं किया। कायदे से इन्हें कर निर्धारण वर्ष 2015-16 के दौरान रिटर्न दाखिल करना था।

अब इन पर आयकर कानून के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी। वित्त मंत्रालय का कहना है कि सीबीडीटी के नॉन फाइलर्स मानिटरिंग सिस्टम पर बचना मुश्किल है, इसलिए ऐसे व्यक्ति खुद ही पहल करते हुए आयकर रिटर्न दाखिल करना शुरू कर दें।

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