यात्रियों की जगह अधिकारी व उनके मुंह लगे कुछ लोगों ने लिया लुत्फ़
जिस कंपनी से किया समझौता उसके हवाई जहाज रहे नदारद !
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : मुख्यमंत्री हरीश रावत की पहाड़ों की हवाई पट्टियों पर हवाई जहाज चलाने के सपनों को सूबे के उड्डयन विभाग के अधिकारी ही पलीता लगाने में पीछे नहीं है यही कारण है कि बीती 21 दिसम्बर को अपनी इज्जत बचाने के लिए इन अधिकारियों ने हवाई जहाज के बजाय नैनी सैनी हवाई अड्डे पर उतरा जिसमें यात्रियों के बजाय अधिकारी व उनके मुंह लगे कुछ करीबी ही नज़र आये। वहीँ सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि जो जहाज नैनी सैनी हवाई अड्डे पर उतारा गया वह जहाज न तो उस कंपनी का था जिससे राज्य सरकार का अनुबंध हुआ था।
सूत्रों की मानें तो उड्डयन विभाग ने जिस कंपनी के साथ अनुबंध किया था उसने किसी और कंपनी से किराये पर जहाज लेकर नैनीसैनी हवाई अड्डे पर ट्रायल लैंडिंग की थी व दूसरे दिन वह जहाज भी कही नज़र नहीं आया उसकी जगह हैलीकॉप्टर उतारा गया। राज्य सरकार के उड्डयन विभाग का पिथौरागढ़ के नैनी-सैनी एयरपोर्ट से नियमित उड़ान शुरू करने का सरकार दावा तब हवाई ही साबित हुआ जब हवाई अड्डे पर हवाई जहाज की जगह एक हैलीकॉप्टर उतारा गया।
गौरतलब हो कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों गौचर , नैनी सैनी व चिन्याली सौड में वर्षों के धूल फांक रही हवाई पट्टियों पर नियमित उड़ान का सपना देखा था इससे जहाँ राज्य में पर्यटन सुविधाओं का विकास होता वहीँ सूबे के स्थानीय लोगों को रोज़गार के साथ -साथ उनके आवागमन पर भी समय की बचत होती। इसी क्रम से सबसे पहले राज्य सरकार की ओर से देहरादून-पिथौरागढ़ के बीच नियमित 9 सीटर जहाज उड़ाने का ऐलान किया गया था सबसे हैरानी तो इस बात तो हुई जब इस हेलीकाप्टर में भी सवारियों की जगह नौकरशाह और उनके करीबी ही नजर आए।
बीती मंगलावर को नैनी-सैनी एयरपोर्ट में 9 सीटर जहाज की सफल ट्रायल लैंडिंग हुई थी. इसके बाद सरकार ने ऐलान किया था कि बुधवार से नियमित उड़ान शुरू होंगी. लेकिन बुधवार की सुबह जो नजारा इस एयरपोर्ट पर दिखा उससे हर कोई हैरान है। सरकार का दावा किया था यहां से जहाज नियमित उड़ान भरेंगे. बावजूद इसके देहरादून से पिथौरागढ़ पहुंचा 6 सीटर हेलीकॉप्टर. जबकि ऐसे हेलीकॉप्टर नैनी-सैनी एयरपोर्ट में सैकड़ों मर्तबा उतर चुके हैं।
हालात बिगड़ते देख सरकार ने इसका ठीकरा केन्द्र के सर फोड़ते भी देर नहीं लगाई. उड्डयन विभाग के चालाक अधिकारियों ने सीएम हरीश रावत को जैसा पढ़ाया मुख्यमंत्री ने भी तोते की तरह उनके बयान को आगे खिसका दिया कि ”केन्द्र के बड़े अधिकारियों ने जायज तरीके से जहाज नहीं उड़ने दिए। जिस कम्पनी से राज्य सरकार का समझौता हुआ था, उसका लाइसेंस रद्द करने तक की धमकी केन्द्रीय नेताओं द्वारा दी गई है। बावजूद इसके राज्य ने अपने संसाधनों से हेलीकॉप्टर उतारा है”।
वहीं मामला कुछ और ही था जिसकी जानकारी मुख्यमंत्री को नहीं दी गयी उड्डयन मामलों के जानकार बताते हैं कि राज्य सरकार के अधिकारी टेंडर प्रक्रिया बनाकर अपने चहेतों को हैलीकॉप्टर या हवाई जहाज उड़ाने का काम तो दे सकते हैं लेकिन देश के नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा जारी नियमों व प्रावधानों की अनदेखी नहीं कर सकते। यहाँ यही हुआ राज्य सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग ने अपनी चहेती कंपनी को काम तो दे दिया लेकिन उसके पास नियमित उड़ान की स्वीकृति ही नहीं थी जबकि इस तरह की सेवाओं के लिए नियमित उड़ान की स्वीकृति DGCA से मिली जरुरी होती है राज्य सरकार ने जिस कंपनी को कार्य आबंटित किया है वह अनियमित सेवाओं के लिए ही DGCA से लाइसेंस प्राप्त है. लिहाजा व इस तरह की कोई भी नियमित उड़ान नहीं भर सकती।
मामले पर उड्डयन मामलों के जानकार राजेश धर का कहना है उड्डयन विभाग के अधिकारी टेंडर में गड़बड़ी तो कर सकते हैं लेकिन नियमित फ्लाइट के लिए नियमित फ्लाइट का लाइसेंस जरुरी होता है अन्यथा DGCA ऐसे जहाज चलाने वाले पायलट का लाइसेंस तक रद्द या निलंबित कर सकता है यही कारण है कि प्रदेश का नागरिक उड्डयन विभाग नैनी सैनी के लिए हवाई जहाज नहीं चला पाया। भाजपा की माने तो चुनावी लाभ के लिए बिना डीजीसीए की इजाजत के राज्य सरकार राज्य के लोगों को बरगला रही है।