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Year Ender 2021:-चुनिंदा नेता जिनका नाम सालभर सुर्खियों में बना रहा।
ईसवीं सन् 2021 अपने खट्टे-मीठे यादों के साथ आज अलविदा कहने वाला है। साल के आखिरी दिन भी बीत रहा है। वहीं,नए साल 2022 के स्वागत के लिए हम सब तैयार हैं। जहां हमें हर नवीन चीज हमारे अंदर नई उम्मीद और नई ऊर्जा पैदा करती है,वहीं बीतता साल हमें अतीत की ओर सोचने की ओर इशारा भी करता है।
कमल किशोर डुकलान
सन् 2021 का आज अंतिम दिन बाकी हैं। शनिवार को सूरज की नई किरणों के साथ नया सवेरा शुरू होगा। यानी साल 2022 का आगाज हो जाएगा। नए साल के लिए हम सब तैयार हैं,लेकिन बीत साल पर गौर करे तो सन् 2021 बहुत सारी यादों को हमारे बीच छोड़े जा रहा है।
आज हम आपके सामने कुछ चुनिंदा नेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम सालभर सुर्खियों में बना रहा।
- कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत सन् 2021 में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में हर दिन सुर्खियों में बने रहें। राकेश टिकैत का नाम आम भारतीय की जुबान पर चढ़ा। किसान नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में 11 महीनों से ज्यादा दिन चले किसान आंदोलन ने ऐसा असर दिखाया कि केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। गुरु नानक देव की जयंती के मौके पर 19 नवंबर ,2021को राष्ट्र के नाम सम्बोधन में पीएम मोदी ने खुद तीनों कृषि कानून की वापसी की घोषणा की। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद संसद के दोनों सदनों से कृषि कानून वापसी का बिल पास हो गया और फिर राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानूनों को वापस ले लिया गया। राकेश टिकैत ने कृषि कानून के खिलाफ देशभर में किसानों में एक ऐसा माहौल तैयार किया अन्नदाता एकजुट हो गए और लंबे समय तक चले किसान आंदोलन का यह नतीजा यह हुआ कि यह आंदोलन पूरी दुनिया के सबसे लंबे आंदोलनों में शुमार किया गया। किसान आंदोलन में जो सबसे खास बात रही वह यह कि राकेश टिकैत ने इसकी स्क्रिप्ट बहुत सोच समझकर लिखी। पूरे आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत और किसानों ने अपने मंच पर कभी राजनीतिक लोगों को एंट्री नहीं दी। हालांकि,विपक्षी दलों ने कई बार उनके सुर मिलाने के लिए मंच तक पहुंचने का साहस दिखाया,लेकिन वह मंच पर नहीं पहुंच सके। मंच पर सियासी लोगों के प्रवेश नहीं देने से राकेश टिकैत का कद और बढ़ गया। साल 2021 में राकेश टिकैत किसानों के बड़े नेता के रुप में उभरे।
- साल 2021 में पूर्वोत्तर राज्य असम में भाजपा की सरकार आने के बाद हेमन्त बिस्व सरमा राज्य के मुख्यमंत्री बने। भाजपा ने उनकी अगुआई में विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया। हालांकि, भाजपा की ओर से सीएम पद के लिए उनका नाम नहीं खोला गया था। फिर भी राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे थे कि हेमंत बिस्व सरमा के सिर पर ही असम का ताज सजेगा और उन्होंने 10 मई 2021 को असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हेमंत बिस्व सरमा कुछ दिन पहले ही कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। कांग्रेस से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले सरमा असम में भगवा ओढ़ कर कमल को सींच रहे हैं। हेमंत बिस्व सरमा को भाजपा का पूर्वोत्तर का चाणक्य भी कहा जाता है। क्योंकि इन्हीं की बदौलत भाजपा असम से लेकर पूरे पूर्वोत्तर राज्यों में फर्श से अर्श तक पहुंची है।
- उत्तराखंड में युवा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का नाम तो सब जानते ही हैं। अगर कुछ लोग नहीं जानते हैं तो आइए हम उन्हें बताते हैं कि आखिर 46 साल का युवा नेता उत्तराखंड का मुख्यमंत्री कैसे बन गये। पुष्कर सिंह धामी ने भी कभी सोचा भी नहीं सोचा होगा कि साल 2021 उनके लिए इतनी बड़ी सौगात लेकर कैसे आएगा। पुष्कर सिंह धामी ने 4 जुलाई 2021 में उत्तराखंड के 11 वें मुख्यमंत्री के तौर पर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। राज्य बनने के बाद श्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं। पुष्कर सिंह धामी विधानसभा में कुमाऊं क्षेत्र की खटीमा सीट की नुमाइंदगी करते हैं और दूसरी बार यहां से चुने गए हैं। पुष्कर धामी को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का करीबी माना जाता है। जब भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री थे तो पुष्कर धामी उनके ओएसडी हुआ करते थे। पुष्कर धामी ना तो राजनीतिक रूप से अनुभवी हैं,और नहीं सरकार चलाने के लिए उनके पास प्रशासनिक अनुभव है। फिर भी पार्टी ने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उनको मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा दांव खेला है। वहीं, मुख्यमंत्री धामी ने भी पार्टी से वादा किया है कि वह अगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को भारी मतों से जीत दिलाकर सरकार बनाएंगे।
- बेंगलुरु से भाजपा सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री तेजस्वी सूर्या साफ छवि की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन 2021 में उनका एक बयान ने पूरे देश में तहलका मचा दिया था। वे 25 दिसंबर को कर्नाटक के उडुपी में श्रीकृष्ण मठ में ‘हिंदू पुनरुद्धार’ कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यहां पर तेजस्वी सूर्या ने मुसलमानों और ईसाइयों से हिंदू धर्म में धर्मांतरण का आह्वान किया था। तेजस्वी सूर्या ने इन समुदाय के लोगों से घर वापसी करने की अपील की। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद भाजपा सांसद सूर्या ने अपना भाषण ट्वीट किया। उन्होंने लिखा,”कर्नाटक के उडुपी में श्रीकृष्ण मठ में ‘हिंदू पुनरुद्धार’ पर बात की। 2014 के बाद भारत अंततः 70 वर्षों के औपनिवेशिक हैंगओवर के बाद खुद को संभाल रहा है। विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा शासित सदियों के बाद भारत ‘विश्वगुरु’ के रूप में फिर से उभर रहा है।” हालांकि, अपने भाषण पर विवाद बढ़ता देख सूर्या ने तत्काल अपना बयान भी वापस ले लिया। तेजस्वी सूर्या ने ट्वीट किया कि बिना शर्त वह अपना बयान वापस ले रहे हैं।
- अभिषेक बनर्जी का नाम भी साल 2021 में चर्चा में रहा। कोल स्कैम को लेकर अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा सीबीआई और ईडी के रडार पर रहे। कोयला माफिया से संपर्क होने के कारण इसी साल अभिषेक बनर्जी को प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया था। लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने उन्हें छोड़ दिया था। अभिषेक बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बड़े भाई अजित बनर्जी के बेटे हैं। अभिषेक बनर्जी डायमंड हार्बर से लोकसभा सांसद हैं। पश्चिम बंगाल में कहा जाता है कि वो ममता बनर्जी ‘दीदीट के लाडले हैं। ममता बनर्जी आने वाले समय में पार्टी में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी कर रही हैं। हालांकि, इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खुश नहीं हैं।
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साल 2021 में मोदी सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का पद संभाल रहे अजय मिश्र टेनी अपने काम से ज्यादा विवादों के लिए चर्चा में हैं। अजय मिश्र टेनी पर एक के बाद एक आरोप लगते गए और बुरी तरह वह फंसते गए। 3 अक्तूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनियां में अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र टेनी के काफिले ने बेकाबू कार से किसानों को रौंद दिया था। इसमें आठ से ज्यादा किसानों की मौत हो गई। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी ने इस कांड में बेटे आशीष मिश्र उर्फ मोनू की भूमिका से इनकार किया। उन्होंने कहा कि उनका बेटा गाड़ी में नहीं मौजूद ही नहीं था। मंत्री अजय मिश्र ने कहा कि किसानों की तरफ से फेंका गया पत्थर ड्राइवर को लग गया था। इसी वजह से एसयूवी असंतुलित होकर किसानों की भीड़ में जा घुसी। इस घटना के बाद यूपी समेत पूरे देश में सियासत गरमा गई। विपक्ष दलों के दबाव के आगे पुलिस ने आशीष मिश्र टेनी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने गाड़ी से कुचलने के आरोप में जेल में डाल दिया। वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दलों समेत किसान संगठनों ने अजय मिश्र टेनी से मंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की और केंद्र सरकार से उन्हें बर्खास्त करने का आग्रह किया, लेकिन अजय मिश्र टेनी ने इस्तीफा नहीं दिया और ना ही केंद्र सरकार ने भी उनसे मंत्रालय नहीं छीना। इसी बीच मंत्री अजय सिंह टेनी का एक वीडियो भी वायरल हो गया, जिसमें मंत्री टेनी मीडिया से बदसलूकी करते नजर आ रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार यूपी विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण वोट बैंक के लिए अजय मिश्र टेनी पर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती है। कुल मिलाकर कहे तो साल 2021 के लिए विवादों से भरा रहा।
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महाराष्ट्र की राजनीति में उस वक्त भूचाल मच गया जब तत्कालीन गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख पर सौ करोड़ रुपये की उगाही करने का मामला सामने आया। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर अधिकारियों से 100 करोड़ रुपये महीने की वसूली का आरोप लगाया था इसके बाद अनिल देशमुख ने गृहमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए गए। सीबीआई को अपनी पड़ताल में देशमुख के खिलाफ कई संगीन आरोप मिले। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर अनिल देशमुख आ गए। कुछ समय बाद ही देशमुख को कोर्ट में पेशा किया गया, जहां उन्हें जेल में भेज दिया गया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 4.20 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की। वहीं चांदीवाल आयोग ने अनिल देशमुख पर पचास हजार का जुर्माना ठोक दिया। अनिल देशमुख के लिए यह साल बेहद ही कठिनाइयों भरा रहा। साल की शुरुआत से ही वह विवादों में फंस गए और आखिरी साल तक वह जेल के अंदर ही हैं।