दुर्भाग्यवश आज भी बांध विस्थापित और प्रभावित दरकृदर की ठोकरें खा रहे हैं : किशोर उपाध्याय
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । टिहरी झील पर बना डोबरा-चांटी पुल ही नहीं बल्कि चिन्यालीसौड़ और घोंटी पुल को स्वीकृत करने में सुप्रीम कोर्ट की मुख्य भूमिका रही है। यह बात पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि डोबरा चांटी पुल को बनाने का श्रेय सुप्रीम कोर्ट को जाता है। बताया कि जब बांध की सुरंगे बन्द की गयीं तो पुनर्वास के मामलों की अनदेखी और यहाँ के विस्थापितों और प्रभावितों के साथ हुये धोखे पर मुझे वहां महापंचायतें आयोजित करनी पड़ीं और उसके बाद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।
उन्होंने बताया कि कोर्ट भी इसलिये जाना पड़ा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बांध विरोध से सम्बन्धित एक पूर्व निर्णय में कहा था कि जब तक अन्तिम व्यक्ति का पुनर्वास नहीं हो जाता तब तक बांध की सुरंगे न बंद न की जाएं। दुर्भाग्यवश आज भी बांध विस्थापित और प्रभावित दरकृदर की ठोकरें खा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि रौलाकोट, नन्दगांव तथा उप्पू आदि गांवों के लोग खतरे की जद में हैं और कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में जब हमने यह बात रखी कि प्रतापनगर को तो कालापानी बना दिया है। तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा टीएचडीसी को लताड़ लगायी और कनेक्टीविटी की व्यवस्था करने को कहाए तब जाकर ये 3 पुल स्वीकृत हुए।
उन्होंने कहा कि हमारे यहां यह बड़ी कमी है काम कोई और करता है, श्रेय लेने के कई हाथ खड़े हो जाते हैं। बड़ा सवाल यह है कि हम कितने नालायक हैं, कि एक पुल बनाने में 14 साल लग गये और पुल जब बन गया तो नेताओं को उद्घाटन की पड़ी है। इन नेताओं को जनता की तकलीफों की फिक्र नहीं है।