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रोजगार की तलाश में युवाओं को मिल रही मौत

देवभूमि मीडिया ब्यूरो — 9 नवम्बर 2000 उत्तराखंड राज्य के उदय होने के साथ ही लोगों में रोजगार, नोकरी कि उम्मीद जगी। पहाड़ों का विकास होगा, अच्छे स्कूल, अस्पताल होंगे, और रोजगार के अवसर होंगे। लेकिन वर्तमान हालात ये है कि रोजगार की तलाश में युवाओं को मौत मिल रही है

बीते दिनो में उत्तराखण्ड में बेरोजगारी इस तरह आई की कई घरो के चिंराग बुझ गये।
अग्निवीर की भर्ती के लिए कोटद्वार उत्तरकाशी का युवा केदार भंडारी घर नहीं लौट पाया। पुलिस कह रही है कि कमलेश चोरी करके भाग रहा था और गंगा में छलांग लगा दी, लेकिन पुलिस ये थ्योरी किसी के गले नही उतर रही।

 

जिला चमोली का युवा विपिन रावत देहरादून में लैब टेक्निशियन का काम करता था। रात को खाना खान रेस्टोरेंट गया, तो वहां एक रसूखदार के बेटे से पंगा हो गया। मामूली बात पर विपिन की इतनी बुरी तरह पिटाई कर दी गई कि उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया।

 

पौड़ी गढ़वाल के नितिन रुड़की की एक दवा कंपनी में काम करता था। लेकिन अपराधियों ने बिना किसी बात के नितिन की हत्या करके शव को अनाज की टंकी में छुपा दिया। जिन किराएदारों पर हत्यात का आरोप है उनका मकान मालिक ने सत्या।पन भी नहीं कराया था।

 

एक अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड के दफ्तरों में 8 लाख 64 हजार से ज्यादा बेरोजगार पंजीकृत हैं। सरकारी नौकरी की आस रखने वालों युवाओ पर UKSSSC भर्ती घोटाला, विधानसभा भर्ती घोटाला सपने ले डुबा है। और निजी क्षेत्र में रोजगार युवाओ का हौसला तोड़ रहा है ।

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