आम आदमी पार्टी अपने घर को छोड़ दूसरों के घरों में करती नज़र आ रही है ताकाझांकी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। कुंवर प्रणव चैंपियन को भाजपा में वापस लेने पर आम आदमी पार्टी की स्थिति ”आप” कौन, बल मैं खामखा” वाली हो गयी है यानी भाजपा अपनी पार्टी में किसको ले और किसको न ले इस बात पर भाजपा को विचार करना चाहिए लेकिन यहाँ तो आम आदमी पार्टी अपने घर को छोड़ दूसरों के घरों में ताकाझांकी करती नज़र आ रही है। इतना ही नहीं उसे अपनी नहीं दूसरी राजनीतिक दल की चिंता सता रही है कि वह किसे अपनी पार्टी में लेना चाहिए और किसे बाहर ही रखना चाहिए।
कहने को तो ”आम आदमी पार्टी ” उत्तराखंड की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन उसके बयानों और उसकी तरफ से लगातार आ रहे कार्यक्रमों से तो लगता है उसके पास कार्यकर्ताओं की भारी कमी है और नेताओं की भी। राजनीतिक चश्में से यदि देखा जाय तो भाजपा अथवा कांग्रेस यदि कोई भी जन विरोधी कदम उठाते हैं तो वह ”आम आदमी पार्टी” के लिए सुखद ही होना चाहिए, लेकिन यहाँ तो बीते दिन भाजपा ने कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन को पार्टी में वापस क्या लिया कि ”आप” के पेट में दर्द शुरू हो गया और उसने मंगलवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय तक का घेराव तक कर डाला हालाँकि आम आदमी पार्टी के लगभग एक -डेढ़ दर्जन लोग वहां तक नहीं पहुँच पाए और पुलिस ने उन्हें आधे रस्ते में ही रोका दिया और वे वहां से प्रदर्शन की खानापूरी कर लौट आए।
आम आदमी पार्टी के पेट में हो रहे दर्द को देखते हुए यह लग रहा है कि कहीं भाजपा ने ”आप” के मुंह में जा रहे चैंपियन जैसे निवाले को तो नहीं छीन लिया है कम से कम यह बौखलाहट तो यही दर्शा रही है। आम आदमीं पार्टी का यह बयान कुलमिलाकर ”आप” कौन, बल मैं खामखा” वाला ही नज़र आता है। लेकिन यहाँ तो आम आदमी पार्टी को अपने संगठन को गाँव, विकास खंड, तहसील जिला और प्रदेश स्तर तक बढ़ाने की कहीं भी चिंता नज़र नहीं आती , बल्कि आम आदमी पार्टी के चंद कार्यकर्ता केवल राजधानी में इस तरह के विरोध प्रदर्शन कर सुर्खियों में रहना चाहते हैं ताकि लोगों के बीच यह सन्देश जाए कि ”आप” पार्टी बहुत संघर्ष कर रही है।