UTTARAKASHI

उत्तरकाशी जिला : अंधेर नगरी चौपट राजा

पहले जिला अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर को क्वारेंटाइन में रखने का मामला 

अब छह माह के बच्चे और तीन साल की एक बच्ची के खिलाफ एफआईआर

उत्तरकाशी जिले में तैनात विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों में कहीं नज़र नहीं आता सामंजस्य 

जिले की सरकार पर सभी को एक लट्ठ से हांकने से उठ रहे सवालिया निशान 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
उत्तरकाशी : अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा वाली कहावत आजकल उत्तरकाशी जिले में चरितार्थ हो रही है, यहां कोविड-19 के चलते जिन अधिकारियों को ड्यूटी में लगाया गया है वे या तो अपने कर्तव्यों को लेकर गंभीर नहीं है अथवा वे केवल खानापूर्ति के लिए ही ड्यूटी कर रहे हैं, इससे यह साफ़ है कि जिला प्रशासन और अन्य विभागों के बीच या तो विश्वास की कमी है या कहीं न कहीं जिला प्रशासन में अपने को ”सुपर पावर ”दिखाने की चाहत। कोविड-19 के संक्रमण से बचने के जिला प्रशासन के अधिकारियों में संवेदनहीनता और कर्तव्यों के प्रति लापरवाही साफ़ देखी जा रही है। मामला चाहे जिला अस्पताल में तैनात वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.शिव प्रसाद कुडियाल का हो या अब छह माह के बच्चे और तीन साल की एक बच्ची के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने का इन दोनों ही मामलों में जिला प्रशासन के अधिकारी कहीं भी संवेदनशीलता और कर्तव्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते नज़र नहीं आते हैं।

हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा ?

मुझे तो लगता है कुछ तथाकथित नौकरशाह किसी रंजिश के चलते एक वरिष्ठ और अनुभवी चिकित्सक के साथ बुरा व्यवहार कर रहे हैं जोकि मानवीय दृष्टिकोण से घोर अमानवीय है और एक वरिष्ठ  डॉक्टर का अपमान वह और भी घृणित।

वह भी उस समय जब मानवीय मूल्यों को ताक पर रखकर ऐसे लोगों में फूलमालाएं पहनने की होड़ मची है, जबकि सबसे संवेदनशील कार्य को हमारे देश  प्रदेश के डॉक्टर सम्मानपूर्वक अंजाम दे रहे हैं वो भी अपनी अपनी जान को दांव पर लगाकर।

इतना होने के बावजूद इस प्रकार की अनैतिक कार्यवाही  का एक वरिष्ठ    चिकित्सक  व  रेडियोलॉजिस्ट के साथ घटित हो जाना तो इस विवेकहीनता कृत्य की निंदा किया जाना जरुरी है ।

गौरतलब हो कि बीते तीन -चार दिन पहले जिला प्रशासन की एक टीम ने अपनी हनक दिखाते हुए जिला चिकित्सालय में तैनात वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.शिव प्रसाद कुडियाल को मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर चिन्यालिसौड़ में 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन करने का आदेश दे दिया जबकि उनके ड्राईवर को ऐसे ही छोड़ दिया।इतना ही नहीं जब जिला प्रशासन को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्हें तीन दिनों तक जिला अस्पताल में ही क्वारेंटाइन किया गया इस दौरान उनका भोजन बनाने वाले को भी क्वारेंटाइन में भेज दिया गया।
अब शुक्रवार को एक और नया मामला सामने आया है, मामले में जिला प्रशासन ने होम क्वारंटाइन के उल्लंघन के आरोप में राजस्व पुलिस में छह माह के बच्चे और तीन साल की एक बच्ची के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है। इस मामले से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। हालाँकि बाद में जिला प्रशासन ने अपनी गलती मानते हुए और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को ध्यान में रखते हुए FIR से बच्चों का नाम हटा दिया। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने इस मामले में संबंधित क्षेत्र के कोविड-19 मजिस्ट्रेट गिरीश सिंह राणा जो सिंचाई खंड उत्तरकाशी में सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं ,को निलंबित कर दिया है। उत्तरकाशी जिले का यह मामला मानवीय संवेदनाओं को जहां झकझोर देने वाला वहीं अधिकारियों की लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को प्रदर्शित करने को काफी है। जुवेनाइल एक्ट के तहत आठ वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता है।

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