विशालकाय भाजपा के सामने बौने विपक्ष पर रहेंगी खास नजरें
राज्य गठन के बाद प्रथम बार नजर आएगा सबसे छोटे आकार वाला विपक्ष
देहरादून । उत्तराखण्ड राज्य का यह दुर्भाग्य कहा जाएगा अथवा संयोग कि प्रदेश का गठन होने के उपरांत प्रथम बार सूबे को विपक्ष के रूप में सिर्फ 13 विधायक ही मिल पाये है। विधानसभा के सभा मंडप में सत्र के दौरान जो विपक्ष का आकार दिखाई देगा, वह पूर्व की अपेक्षाकृत काफी छोटा होगा और विपक्ष के इसी छोटे से आकार को देखकर निश्चित रूप में आश्चर्य भी होगा।
उत्तराखड प्रदेश में अब तक चार बार विधानसभा के आम चुनाव हो चुके हैं। इस बार वर्ष-2017 का चैथा चुनाव हुआ तथा चैथी विधानसभा गठित हुई है। हैरानी की बात यह है कि इन 17 वर्षों में जो चौथी विधानसभा बनी है उसमें विपक्ष का आकार काफी छोटा उभरकर सामने आया है। इस काफी छोटे आकार वाले विपक्ष को देखते हुए ही सदन के अंदर का नजारा भी जाहिर तौर पर सभी के आकर्षण का केन्द्र भी बन सकता है। चैथे चुनाव में कांग्रेस को शर्मसार कर देने वाली मात्र 11 सीटें ही मिलीं, जबकि 2 निर्दलीयों ने अपनी सीटें निकालकर राज्य के अंदर निर्दलियों की लाज बचा ली है।
बड़ी हैरानी की बात यह है कि सूबे की राजधानी देहरादून की 10 सीटों में से सिर्फ चकरौता सीट ही कांग्रेस के खाते में जा पायी। यहां से पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह ने बमुश्किल अपनी सीट निकाली। जनपद हरिद्वार के विधायकी संख्या वाले क्षेत्रों के नक्शे पर नजर डाली जाए तो यहां की 11 सीटों में से मात्र 3 पर कांग्रेस का परचम लहराया। इस विश्व व्यापी मानी जाने वाली धर्मनगरी में कांग्रेस ने भगवानपुर से ममता राकेश, पिरान कलियर से फुरकान अहमद व मंग्लौर विधानसभा क्षेत्र से जीत दिलाने में कांग्रेस की नाक थोड़ी बहुत रख ली है।
गढ़वाल से हटकर कुछ कुमाउं में भी कांग्रेस की हालत बहुत ही खस्ता रूप में सामने आयी। इस मण्डल में हल्द्वानी से श्रीमती इन्दिरा हृदयेश ने अपनी जीत सुनिश्चित करके अपनी पार्टी की लाज रखी। कुल मिलाकर राज्य में काग्रेस का जो हाल व आकार सदन के अन्दर नजर आएगा वह एक प्रकार से अजब व गजब रूप वाला ही होगा? जिसकी कल्पना भी चुनाव के दौरान तक नहीं की गयी थी। बहरहाल, कल से शुरू होने जा रहे सत्र में सदन के अंदर विशाल रूप-स्वरूप में उभरकर सामने आयी भाजपा के आगे कांग्रेस के बौने आकार पर खास नजरें भी होंगी।