बिहार के राज्यपाल कोविंद बन गए राष्ट्रपति पद के लिए मोदी की पसंद

बैठक में 8 से 10 नामों पर हुई चर्चा लेकिन रामनाथ कोविंद पीएम मोदी की पसंद पर लगी मुहर
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन में भी पीएम मोदी ने सबको छकाते हुए हैरान करने वाला नाम पेश किया है। राजग की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाए गए रामनाथ कोविंद पीएम मोदी की पसंद बताए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि संसदीय बोर्ड की बैठक में वैसे तो तमाम नामों पर जिक्र हुआ। लेकिन पीएम मोदी की ओर से कोविंद के नाम का प्रस्ताव आया। जिसे संसदीय बोर्ड ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद कोविंद के नाम का एलान करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि बैठक में 8 से 10 नामों पर भी चर्चा हुई। लेकिन पार्टी ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है। कोविंद राजग के राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं। बताया जा रहा है कि कोविंद के नाम का सुझाव खुद पीएम मोदी की ओर से आया। उनका नामांकन 23 जून को होगा।
कई नामी चेहरों को धूल चटाकर कोविंद बने उम्मीदवार
भाजपा के नामी-गिरामी चेहरों को धूलचटाकर कोविंद राजग के राष्ट्रपति उम्मीदवार बने हैं। इस पद के लिए डॉ मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, सुमित्रा महाजन, थावरचंद गहलोत और द्रोपदी मुर्मू के नाम चर्चा में रहे। मगर भाजपा ने सहज एवं सादगी व्यक्तित्व के धनी रामनाथ कोविंद को देश का अगला राष्ट्रपति बनाने का निर्णय लिया है। इस दांव को भाजपा के सभी बड़े चेहरों के लिए झटका माना जा रहा है। भाजपाई राजनीति में कोविंद कोई बड़ा चेहरा नहीं रहे। मगर दलित मतों को ध्यान में रखते हुए बिहार विधानसभा चुनावों से कुछ माह पहले उन्हें सूबे का राज्यपाल बनाया गया था। पार्टी में वे राज्यसभा सदस्य, अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्त्ता रह चुके हैं।
राष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन में भाजपा ने भावी राजनीतिक समीकरणों को साधते हुए कोविंद को राजग का उम्मीदवार बनाया है। दलित बिरादरी को साधने की कवायद में पूरे भगवा परिवार की ओर से समरसता अभियान चलाया जा रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए तय माना जा रहा था कि राष्ट्रपति अथवा उपराष्ट्रपति सरीखे प्रमुख पद में से एक पद पर भाजपा किसी दलित चेहरे को बैठाएगी। संविधान के सबसे बड़े पद पर कोविंद को बैठाने का निर्णय लेकर भाजपा ने दलित बिरादरी को संदेश देने का प्रयास किया है। देश में लंबे समय तक राज करने की कवायद में भाजपा की नजर दलित बिरादरी पर है। इसीलिए पार्टी ने यूपी के कानपुर देहात से रहने वाले कोविंद को उम्मीदवार बनाकर दलित को लुभाने की कोशिश की है।
यूपी का दबदबा, पीएम के बाद अब राष्ट्रपति भी यूपी से
लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा के खाते में 71 सीटें देने का लाभ यूपी को लगातार मिल रहा है। पीएम मोदी के बाद अब देश का अगला राष्ट्रपति भी यूपी से होगा। इसके अलावा गृहमंत्री से लेकर मोदी सरकार में करीब एक दर्जन मंत्री यूपी से हैं। भारतीय राजनीति में यूपी का दबदबा बढ़ता ही जा रहा है। सियासी गलियारे में रामनाथ कोविंद का कद बेशक हल्का हो लेकिन भाजपा और राजग की संख्या गणित के मद्देनजर उनकी जीत पक्की मानी जा रही है।
जानिए राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के बारे में…….
राम नाथ कोविन्द भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं में से एक हैं। हैं। वह राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। इस समय वह बिहार के राज्यपाल हैं। राम नाथ कोविन्द का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले की तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौंख में 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था। कोविन्द का सम्बन्ध कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है।
वकालत की उपाधि लेने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की। वह 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे। 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के पद पर नियुक्ति हुई।
साल 1991 में रामनाथ भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हो गये। दो साल बाद 1994 में उत्तर प्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए। वर्ष 2000 में पुनः उत्तरप्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए। इस प्रकार कोविन्द लगातार १२ वर्ष तक राज्य सभा के सदस्य रहे। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे हैं।
वह भाजपा दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्युरो के महामंत्री भी रहे।कानपुर यूनिवर्सिटी (अब छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर) से रामनाथ ने बीकॉम और एलएलबी की पढ़ाई की है।
रामनाथ कोविंद का विवाह 30 मई 1974 को सविता कोविंद से हुअा था। एक बेटा अौर एक बेटी है। बेटे का नाम प्रशांत अौर बेटी का नाम स्वाति है। रामनाथ कोविंद पेशे से वकील रहे हैं और दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत की प्रैक्टिस भी कर चुके हैं। राम नाथ कोविंद नें दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 16 साल तक प्रैक्टिस की। वकील रहने के दौरान कोविंद ने गरीब दलितों के लिए मुफ़्त में क़ानूनी लड़ाई लड़ी।
आदिवासी, होम अफ़ेयर, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, सामाजिक न्याय, क़ानून न्याय व्यवस्था और राज्यसभा हाउस कमेटी के भी चेयरमैन रहे। कोविंद गवरनर्स ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के भी सदस्य रहे हैं। 2002 में कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र के महासभा को भी संबोधित किया था। इसके अलावा वो बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रह चुके हैं।