HISTORY & CULTURE
राजा ने क्यों किया पूरे कुमाऊं में कौवों को दावत पर आमंत्रित …..

- घुघुतिया पर्व की कैसे हुई शुरुआत
- कौवे से जुड़ी है घुघुतिया पर्व की कहानी
- कुमाऊं में घुघुतिया त्योहार मनाया जाता है दो दिनों तक
देवभूमि मीडिया ब्यूरो

सनातन धर्म और शास्त्रों के अनुसार उत्तरायणी के दिन से भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर प्रस्थान करते हैं। इस दिन भागीरथी से प्रसन्न होकर गंगा देव लोक से पृथ्वी पर आई थीं। कुमाऊं में उत्तरायणी को घुघुतिया त्योहार या घुघुतिया ब्यार के नाम से जाना जाता है। कुमाऊं में घुघुतिया त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है।
मान्यता है कि कुमाऊं के एक राजा के पुत्र को घुघते नाम के जंगली कबूतर से बेहद प्रेम था। राजकुमार का घुघते के प्रति प्रेम देखकर एक कौवा चिढ़ता था। वहीं दूसरी ओर राजा का सेनापति राजकुमार की हत्या कर संपत्ति हड़पना चाहता था। इस मकसद से सेनापति ने एक दिन राजकुमार की हत्या की योजना बनाई। जिसके बाद वह राजकुमार को एक जंगल में ले गया और उसे पेड़ से बांध दिया. ये सब कौवे ने देख लिया और उसे राजकुमार पर दया आ गई. इसके बाद कौवा तुरंत उस स्थान पर पहुंचा जहां रानी नहा रही थी, उसने रानी का हार उठाया और उस स्थान पर फेंक दिया जहां राजकुमार को बांधा गया था। रानी का हार खोजते हुए सैनिक वहां पहुंचे। जिसके कारण राजकुमार की जान बच गई।
